ॐलोक आश्रम, जब गुरु विश्वामित्र जी ने श्री राम को धनुष तोड़ने की दी आज्ञा

प्रसंग रामचरित मानस के बाल काण्ड में गुरु विश्वामित्र जी श्री राम जी धनुष तोड़ने की आज्ञा देते है ॥

Janbhawana Times
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रावन बान छुआ नहिं चापा। 

हारे सकल भूप करि दापा॥

सो धनु राजकुअँर कर देहीं। 

बाल मराल कि मंदर लेहीं ॥

प्रसंग रामचरित मानस के बाल काण्ड में गुरु विश्वामित्र जी श्री राम जी धनुष तोड़ने की आज्ञा देते है॥

क्या विहंगम द्र्श्य है , कोमल ह्रदय सीता जी की माता सुनयना  ये देखकर सिहीर उठती हैं उनका निर्मल मन कह उठता है ये राजा जनक के दरबार में क्या हो रहा है महाराज एक सुकुमार बालक के हाथों में भारी भयंकर धनुष उठाने की अनुमति क्यूँ दे रहे है । उनका कोमल हृदय श्रीराम जी के किसी अनिष्ट के डर से काँप रहा है । 

रावण और बाणासुर ने जिस धनुष को छुआ तक नहीं और सब राजा घमंड करके हार गए, वही धनुष इस सुकुमार राजकुमार के हाथ में दे रहे हैं।

हंस के बच्चे भी कहीं मंदराचल पहाड़ उठा सकते हैं?॥

चिंतक 

ॐलोक आश्रम

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28 May 2022, 08:56 PM IST

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