Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत से मिलेगा महादेव का आशीर्वाद, जानें यह खास स्तुति, दूर करेगी हर मुश्किल
पुराणों में प्रदोष व्रत के बारे में कापी कुछ बताया गया है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के जाने-अनजाने में किए गए सारे पाप धुल जाते हैं, और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है. भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत आज है. जब प्रदोष का दिन बुधवार पड़ता है, तो इसे बुध प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह खास दिन भगवान शिव की कृपा पाने का सुनहरा अवसर माना जाता है, जो भक्तों के जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है.

Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रमुख साधन माना जाता है. यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति पर महादेव की कृपा बनी रहती है और जीवन से दुख-दरिद्रता दूर होती है. स्त्री और पुरुष दोनों ही इस व्रत को कर सकते हैं. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि यदि प्रदोष व्रत के अवसर पर श्रद्धालु नटराज स्तुति का पाठ करते हैं, तो भगवान शिव प्रसन्न होकर साधक को विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दिन शिव जी के मंत्रों का जाप और सच्चे भाव से की गई आराधना शुभ फल प्रदान करती है.
प्रदोष व्रत की तिथि और पूजा का मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त 2025, दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 21 अगस्त 2025 को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर होगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
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शाम 6 बजकर 55 मिनट से
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रात 9 बजकर 7 मिनट तक
नटराज स्तुति
सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः ।
हे आद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः ॥
गंभीर नाद मृदंगना
धबके उरे ब्रह्माडना ।
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः ॥
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा
चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः ॥
तवशक्ति वामांगे स्थिता
हे चंद्रिका अपराजिता ।
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमोः ॥
मान्यता है कि इस स्तुति के पाठ से शिव कृपा प्राप्त होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं.
शिव मंत्रों का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों के जाप से और भी प्रभावशाली मानी जाती है:
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते रूद्राय
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


