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शिक्षा की आड़ में साजिश? जामिया से जेल तक...अल-फलाह के चांसलर जवाद सिद्दीकी का दागदार इतिहास

दिल्ली धमाके की जांच में फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के नाम सामने आए. संस्थापक जवाद सिद्दीकी पर पुराने विवादों के साये, कॉलेज पर एनआईए की जांच जारी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः 'अल-फलाह' अरबी शब्द जिसका अर्थ है सफलता, समृद्धि और कल्याण, फरीदाबाद के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज का नाम था. 2019 में जब अल-फ़लाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज की शुरुआत हुई, तो यह भावी डॉक्टरों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का केंद्र माना गया. कुछ ही वर्षों में यह कॉलेज हजारों छात्रों और सैकड़ों कर्मचारियों से भरा एक समृद्ध परिसर बन गया. लेकिन 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए भयंकर विस्फोट ने इस संस्थान की छवि पर गहरा दाग लगा दिया. धमाके में 12 लोगों की मौत और कई घायल हुए. बाद में जांच में पाया गया कि इसमें शामिल कई संदिग्ध डॉक्टर इसी कॉलेज से जुड़े थे.

संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी की कहानी

अल-फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी का जन्म 15 नवंबर 1964 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ, जो अब अंबेडकर नगर कहलाता है. उन्होंने इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से इंडस्ट्रियल और प्रोडक्ट डिजाइन में बीटेक किया और फिर दिल्ली आकर बस गए. 1993 में वे जामिया मिलिया इस्लामिया में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लेक्चरर बने, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा शिक्षण तक सीमित नहीं रही. उन्होंने अपने भाई सऊद के साथ व्यापार शुरू किया और अल-फ़लाह इन्वेस्टमेंट्स नाम की कंपनी बनाई, जो बाद में उनके लिए परेशानी का कारण बनी.

जेल तक पहुंची यात्रा

कुछ निवेशकों से धोखाधड़ी और जाली दस्तावेजों के आरोप में जवाद और उनके भाई को 2000 में गिरफ्तार किया गया. फोरेंसिक जांच में फर्जी हस्ताक्षर और काल्पनिक कंपनियों के नाम पर पैसे वसूलने के सबूत मिले. उन्हें तीन साल से ज्यादा समय तिहाड़ जेल में रहना पड़ा. 2004 में उन्हें जमानत मिली और 2005 में अदालत ने उन्हें बरी किया, लेकिन यह तभी संभव हुआ जब उन्होंने निवेशकों को पैसे लौटाने का वादा किया.

फरीदाबाद कॉलेज का बदलता माहौल

2019 में मेडिकल कॉलेज की शुरुआत के बाद, यहां कश्मीर से कई डॉक्टरों की नियुक्ति की गई, क्योंकि वे अपेक्षाकृत कम वेतन पर काम करने को तैयार थे. यह नीति धीरे-धीरे कॉलेज के वातावरण को बदलने लगी. एक वरिष्ठ कर्मचारी के अनुसार, कॉलेज में धार्मिक कट्टरता का माहौल बनने लगा था. गिरफ्तार डॉक्टर शाहीन सईद अकसर सहकर्मियों और छात्रों को अधिक रूढ़िवादी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करती थीं. हालांकि प्रबंधन को इसकी जानकारी थी, उसने इसे अनदेखा कर दिया.

लगातार विवादों में अल-फलाह

कोविड-19 के दौरान, कई नर्सों ने शिकायत की कि बीमा की मांग करने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. पिछले वर्ष मेडिकल इंटर्न्स को स्टाइपेंड और ढांचे की खराब स्थिति पर विरोध करने के लिए निलंबित किया गया. अब, जब कॉलेज के कई डॉक्टरों का नाम दिल्ली धमाके की जांच में आया है, तो एनआईए की नजर इस संस्थान पर है. अल-फ़लाह की साख पर गहरा असर पड़ा है, और संस्थापक जवाद फिर एक बार सवालों के घेरे में हैं.

सफलता से शक तक की दूरी

कभी सफलता का पर्याय रहा अल-फलाह आज राष्ट्रीय सुरक्षा जांचों में घिरा है. 15 नवंबर को जवाद सिद्दीकी का जन्मदिन है, लेकिन इस साल शायद जश्न नहीं मनेगा. क्योंकि इस बार, उनके संस्थान का नाम उपलब्धियों के नहीं, आतंकवाद से जुड़ी जांचों के कारण सुर्खियों में है.

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13 November 2025, 07:43 AM IST

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