जीतनराम मांझी के विवादित बयान पर AAP का कड़ा रुख, कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के कमीशन वाले बयान के बाद आप नेता सोमनाथ भारती ने कड़ा रुख अपनाया है. सोमनाथ भारती ने मांझी से कहा है कि वे सात दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें.

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी का एक विवादित बयान अब उन्हें कानूनी चुनौती का सामना करवा रहा है. उन्होंने सार्वजनिक मंच से कहा कि हर सांसद और हर विधायक कमीशन खाता है. यह बयान सुनने में कुछ लोगों को आकर्षक लग सकता है, लेकिन वास्तव में यह करोड़ों लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की साख पर सीधा हमला है.
आप नेता सोमनाथ भारती का कड़ा रुख
बिना किसी प्रमाण के ऐसे आरोप लगाना न केवल अनुचित है, बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है. आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती ने मांझी के बयान पर कड़ा रुख अपनाया है और उन्हें कानूनी नोटिस भेजा है. भारती का कहना है कि इस तरह के बयानों से भ्रष्टाचार उजागर नहीं होता, बल्कि उसे सामान्य और स्वीकार्य बना दिया जाता है. जब सभी सांसद और विधायक ही दोषी माने जाएं, तो आम जनता के लिए सही और गलत के बीच फर्क करना मुश्किल हो जाता है. यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती.
कानूनी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि पूरे सांसद और विधायक वर्ग पर लगाया गया आरोप मानहानि के दायरे में आता है. कानून पहले से तय करता है कि बिना जांच और प्रमाण के किसी पहचान योग्य समूह को अपराधी बताना गलत है. अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह नहीं कि कोई भी कुछ भी कह दे और जवाबदेही से बच जाए. बोलने की आज़ादी के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी होती है.
माफी मांगें मांझी: सोमनाथ भारती
सोमनाथ भारती ने मांझी से कहा है कि वे सात दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें, अपने बयान को वापस लें और भविष्य में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न करने का लिखित भरोसा दें. अगर ऐसा नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ आपराधिक और दीवानी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी हर्जाने की मांग भी शामिल होगी.
आम आदमी पार्टी ने इस मामले पर यह सवाल भी उठाया है कि क्या भाजपा के मंत्री अब पूरी संसद और विधानसभाओं को ही कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं? क्या ऐसे बयान महंगाई, बेरोजगारी और असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने का तरीका नहीं हैं? पार्टी का कहना है कि लोकतंत्र में जवाबदेही जरूरी है, लेकिन झूठे और अपमानजनक आरोपों की कोई जगह नहीं हो सकती.


