राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में लम्पी स्किन रोग से करीब 200 पशुओं की मौत

देशभर में पशुओं को अकाल मौत के घाट उतार रहा लम्पी स्कीन रोग 25 दिन पहले भीलवाड़ा जिले में भी दस्तक दे चुका है। लम्पी रोग से संक्रमित होने वाले पशुओं की बात करें तो इनकी संख्या 4065 है और मौत

Janbhawana Times
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देशभर में पशुओं को अकाल मौत के घाट उतार रहा लम्पी स्कीन रोग 25 दिन पहले भीलवाड़ा जिले में भी दस्तक दे चुका है। लम्पी रोग से संक्रमित होने वाले पशुओं की बात करें तो इनकी संख्या 4065 है और मौत का आंकड़ा देखें तो 198 पशुओं की मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि जिला में 7 लाख 5 हजार 423 पशु है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ दुर्गा लाल रेगर ने बताया कि कुछ समय पहले तक अजमेर व राजसमंद जिले में लम्पी रोग का प्रभाव देखा गया लेकिन अब भीलवाड़ा जिले में 4 अगस्त को लम्पी रोग ने दस्तक दी है। करीब 5 तहसील इसकी चपेट में है। 31 अगस्त तक जिले में करीब 5 हजार पशु संक्रमित हो चुके हैं। इस अवधि में करीब 200 पशुओं की मौत हो चुकी है। जिले की हमीरगढ़, कोटडी, मांडलगढ़, जहाजपुर, बिजोलिया तहसील में भी छुटपुट मामले सामने आए हैं। 

अब तक सप्लाई कर चुके एक लाख वैक्सीन

संयुक्त निदेशक डॉ दुर्गा लाल का कहना है कि पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए डेयरी एवं पशुपालन विभाग के माध्यम से अब तक एक लाख वैक्सीन की सप्लाई की जा चुकी है। करीब 41 गौशालाओं में पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। गौशालाओं में वैक्सीनेशन को प्राथमिकता दी जा रही है। लोगों को भी इसके लिए जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण का कार्य जोरों पर है। 

मक्खी, मच्छर व चिचड़े से फेल रहा रोग

डॉक्टर दुर्गा लाल का कहना है कि पशुपालकों को पशुओं को अधिक से अधिक आइसोलेट करने का आग्रह किया जा रहा है। यह बीमारी मक्खी मच्छर व  चिचड़े से फेल रही है। इसके नियंत्रण के लिए नीम के पत्तों का धुंआ करने की सलाह देने के साथ ही साफ सफाई रखने की अपील भी की जा रही है। ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके। पशुपालकों को 2 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन का छिड़काव करने की सलाह देने के साथ ही उन्हें उपलब्ध भी कराया जा रहा है।

पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इम्यूनो मॉड्यूलर दवाइयां व हल्दी और गुड़ के लड्डू भी दिए जा रहे हैं। मृत पशुओं का गाइडलाइन के अनुरूप किया जा रहा है निस्तारण डॉक्टर का कहना है कि इस बीमारी से मरने वाले पशुओं का गाइडलाइन के अनुरूप निस्तारण करवाया जा रहा है। पशु की मौत के बाद जमीन में डेढ़ मीटर गहरा खड्डा खोद कर नमक व चूने के साथ पशु को दबाया जा रहा है।

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01 September 2022, 11:30 AM IST

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