वैली ऑफ पीस जहां दफन होते हैं सुल्तान से लेकर भिखारी तक, कब्र खोदने का खर्च सुनकर चौंक जाएंगे आप!

वैली ऑफ पीस से आप सोच रहे होंगे कि यह कोई पहाड़ी जगह होगी तो आप गलत हैं. दरअसल, यह इराक के नजफ़ शहर का एक कब्रिस्तान है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े कब्रिस्तानों में से एक माना जाता है. वहां उन्हें वादी अल-सलाम कहा जाता है.

JBT Desk
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वैली ऑफ पीस से आप सोच रहे होंगे कि यह कोई पहाड़ी जगह होगी तो आप गलत हैं. दरअसल, यह इराक के नजफ़ शहर का एक कब्रिस्तान है, जिसे दुनिया के सबसे बड़े कब्रिस्तानों में से एक माना जाता है. वहां उन्हें वादी अल-सलाम कहा जाता है. वैली ऑफ पीस  में 6 मिलियन से अधिक मुस्लिम शव दफन हैं. इसमें कई सुल्तान, वैज्ञानिक, नेता और भिखारी भी शामिल हैं. यहां पैगंबर सालेह और हुड की कब्रें भी हैं. जबकि प्रिंस अली इब्न अबी तालिब के अवशेष भी यहीं दफन हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह कब्रिस्तान 1,485.5 एकड़ में फैला हुआ है.

वादी अल-सलाम कब्रिस्तान को शहर की आत्मा माना जाता है. यदि आप इसे पहली बार देखते हैं, तो आप इसे कब्रिस्तान के बजाय एक शहर समझने की गलती कर सकते हैं, क्योंकि कब्रें संकीर्ण इमारतों की तरह दिखती हैं. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से मुसलमान यहां घूमने आते हैं. वादी अल-सलाम दुनिया का एकमात्र कब्रिस्तान है जहां दफनाने की प्रक्रिया आज भी 1400 साल से भी अधिक समय से जारी है. अल-हीरा के राजाओं और अल-सासानी युग के नेताओं को भी यहीं दफनाया गया था. उनके साथी, राजा, सुल्तान, हमदानिया राज्य के राजकुमार, फातिमिद, अल-बुवेहिया, सफविया, काजर को भी इसी कब्रिस्तान में दफनाया गया था. यहां प्रत्येक परिवार के लिए एक विशेष कमरा आवंटित किया गया है. यहां भूमिगत कमरे हैं और नीचे जाने का रास्ता सीढ़ियों से होकर जाता है.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इसे सबसे बड़े कब्रिस्तान के रूप में मान्यता दी है. यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया है. इराक युद्ध के दौरान यहां हर दिन लगभग 200-250 शव दफनाए जाते थे. लेकिन 2010 में ये संख्या घटकर 100 से भी कम हो गई. इस कब्रिस्तान में हर साल दुनिया भर से लगभग 50,000 नए शव दफनाए जाते हैं. अधिकांश इराकी और कई ईरानी शियाओं के रिश्तेदारों को भी यहीं दफनाया गया है. 2014 में एक समय ऐसा भी था जब यहां शवों को रखने की जगह नहीं थी. प्लॉट ख़त्म हो गए. इसके बाद कब्रिस्तान से कई शव चोरी हो गए. कुछ शरीर बेचे गए. अल-जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह दुनिया भर के शिया मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है. यहां कब्र खोदने में 100 डॉलर और दफनाने में 170 से 200 डॉलर का खर्च आता है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में वादी अल-सलाम में दफ़नाने की संख्या तेजी से दोगुनी होने लगी.
 

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20 May 2024, 11:22 PM IST

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