मनरेगा की जगह जी राम जी...सरकार ला रही नया कानून, जानें कितनी बदल जाएगी योजना
केंद्र सरकार मनरेगा की जगह नया कानून लाने की तैयारी में है, जिसका नाम VB-G RAM G होगा. इसके तहत ग्रामीण परिवारों को 125 दिन रोजगार की गारंटी मिलेगी और विकसित भारत @2047 के लक्ष्य के अनुरूप ग्रामीण विकास पर जोर दिया जाएगा.

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदलकर अब ‘विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ किए जाने का प्रस्ताव है, जिसे संक्षेप में VB-G RAM G कहा जाएगा. सरकार इस संबंध में संसद में एक नया विधेयक लाने जा रही है, जिसके जरिए 2005 के मनरेगा कानून को निरस्त कर नया कानून लागू करने की योजना है.
मनरेगा की जगह नया कानून
सरकार द्वारा लोकसभा सांसदों को वितरित विधेयक की प्रतियों के अनुसार, प्रस्तावित कानून का नाम ‘विकसित भारत–रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ होगा. इसके तहत मौजूदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया है. सरकार का कहना है कि यह बदलाव विकसित भारत @2047 की राष्ट्रीय परिकल्पना के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है.
100 से बढ़कर 125 दिन का रोजगार
नए विधेयक का सबसे बड़ा प्रस्ताव यह है कि ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले गारंटीशुदा रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिन किया जाएगा. इसका लाभ उन सभी ग्रामीण परिवारों को मिलेगा, जिनके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए आगे आते हैं. सरकार का मानना है कि रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी से ग्रामीण आय में सुधार होगा और पलायन जैसी समस्याओं पर भी अंकुश लगेगा.
विकसित भारत @2047 से जुड़ा विजन
विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि नया कानून केवल रोजगार उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसके जरिए सशक्तिकरण, विकास, अभिसरण और संतृप्ति जैसे लक्ष्यों को भी हासिल किया जाएगा. इसके अंतर्गत सार्वजनिक कार्यों के माध्यम से ग्रामीण अवसंरचना को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा, ताकि एक समृद्ध और लचीला ग्रामीण भारत तैयार किया जा सके.
किन कार्यों पर रहेगा फोकस?
- जल संरक्षण और जल सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट
- प्रमुख ग्रामीण अवसंरचना का विकास
- आजीविका से संबंधित आधारभूत ढांचे का निर्माण
- चरम मौसम की घटनाओं (जैसे सूखा और बाढ़) के प्रभाव को कम करने वाले कार्य
इन सभी प्रयासों को मिलाकर सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना स्टैक तैयार करने की दिशा में काम करेगी.
नई केंद्रीय परिषद का प्रस्ताव
- एक अध्यक्ष
- केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि
- पंचायती राज संस्थाओं के सदस्य
श्रमिक संगठनों और समाज के कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी सदस्य शामिल होंगे. परिषद में गैर-सरकारी सदस्यों की संख्या 15 से अधिक नहीं होगी और एक सदस्य-सचिव केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव स्तर से नीचे का नहीं होगा.
मनरेगा का इतिहास
गौरतलब है कि मनरेगा कानून को वर्ष 2005 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने लागू किया था. बाद में 2 अक्टूबर 2009 को इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) किया गया. अब सरकार इस कानून की जगह नए मिशन के जरिए ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को नए सिरे से परिभाषित करने की तैयारी में है.


