सीएम केसीआर की बेटी कविता का कई विपक्षी नेताओं ने किया समर्थन

सीएम केसीआर की बेटी कविता का साथ देने के लिए 12 अन्य राजनीतिक पार्टियों के विपक्षी नेता शामिल हुए।

Nisha Srivastava
Nisha Srivastava

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता शुक्रवार यानी 10 मार्च को देश की राजधानी दिल्ली में संसद के मौजूदा बजट सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर में एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठी हुई हैं।

सीएम केसीआर की बेटी कविता का साथ देने के लिए 12 अन्य राजनीतिक पार्टियों के विपक्षी नेता शामिल हुए। इनमें सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, मंत्री सत्यवती राठौड़, आप सांसद संजय सिंह, अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने अपनी बात रखी।

कविता ने अच्छा कदम उठाया है - सीताराम येचुरी

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि कहा कि “कविता ने अच्छा कदम उठाया है।” उन्होंने घोषणा की कि “वे महिला आरक्षण के संघर्ष में भाग लेंगे”। उन्होंने कहा कि “जब तक महिलाएं भाग नहीं लेंगी समाज आगे नहीं बढ़ सकता”।

यह विधेयक लोकसभा के सामने नहीं आया है- सत्यवती राठौड़

मंत्री सत्यवती राठौड़ ने कहा कि “यह दुर्भाग्य की बात है कि सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली नारी आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है” उन्होंने कहा कि “महिला विधेयक के समर्थन की घोषणा करने वाली भाजपा को मौका दिए हुए आठ साल बीत चुके हैं, और अभी तक यह विधेयक लोकसभा के सामने नहीं आया है”।

देश में किसान पीड़ित हैं- संजय सिंह

आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि “महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए सभी दल तैयार हैं”। उन्होंने कहा कि “महिला आरक्षण विधेयकों को लेकर कांग्रेस और भाजपा गलत हैं”।

संजय सिंह ने कहा कि “भाजपा सरकार केवल एक व्यक्ति के लिए काम कर रही है, वह है अडानी”। उन्होंने आलोचना की कि “देश में किसान पीड़ित हैं और महिलाओं के लिए कोई सुरक्षा नहीं है”।

यह अफसोस की बात है- नरेश गुजराल

अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कहा कि “यह अफसोस की बात है कि महिला विधेयक को मंजूरी नहीं मिली”। उन्होंने कहा कि “वादे के मुताबिक महिला विधेयक पेश करने की जिम्मेदारी भाजपा की है”।

उन्होंने कहा कि “भाजपा ने 2014 के चुनाव के दौरान पहली बार वादा किया था कि संसद में बहुमत होने पर महिला विधेयक पारित किया जाएगा और फिर 2019 में अपने घोषणा पत्र में और अब भी देरी क्यों हो रही है”।

उन्होंने कहा कि “1996 में पहली बार महिला विधेयक संसद के समक्ष आया, सभी दलों ने उसका समर्थन किया लेकिन उसे मंजूरी क्यों नहीं मिली”।

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10 March 2023, 04:44 PM IST

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