आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली की जनता से मुफ्त बिजली-पानी का वादा कर सत्ता में आई थी। दिल्ली की सत्ता में आने के बाद दिल्ली सरकार अब तक दिल्लीवासियों को मुफ्त बिजली-पानी की मुहैया करा रही है। वहीं पिछले साल दिल्ली सरकार ने अपनी मुफ्त बिजली की योजना में बदलाव करते हुए मांग के आधार पर बिजली सब्सिडी देने की बात कही थी। बताया जा रहा है कि इससे दिल्ली के करीब 25 फीसदी परिवार बिजली सब्सिडी के दायरे से बाहर हो गए है। एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्तीय वर्ष में लोगों को बिजली सब्सिडी के लिए फिर से आवेदन करना पड़ सकता है।

दरअसल, बिजली सब्सिडी से हर साल दिल्ली के खजाने पर काफी बोझ पड़ता है। वहीं गर्मियों में बिजली की खपत बढ़ने के बाद यह और अधिक बढ़ जाता है। दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक रिपोर्ट के जरिए बताया कि डीईआरसी के निर्देशों का पालन नहीं होने से दिल्ली सरकार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। अगर सरकार इस नुकसान की ओर ध्यान दे तो इससे बचा जा सकता है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने इस रिपोर्ट को लेकर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।

इस बीच एक बार फिर से केजरीवाल सरकार और एलजी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की मुफ्त बिजली सब्सिडि को बंद करने की साजिश रची जा रही है। इस मामले को लेकर शुक्रवार को शुक्रवार को दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री आतिशी ने ट्वीट कर कहा था कि 'दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री को बिना बताए 14 दिन से मुफ्त बिजली की फाइल एलजी से मुख्य सचिव और बिजली सचिव के बीच घूम रही है। आखिर क्या छिपाना चाहते हैं? क्या डिस्कॉम से कोई सांठगांठ है? अगर कोई षड्यंत्र नहीं है तो इतना डर क्यों? फाइल चुनी हुई सरकार के सामने रखिए।'

इसके बाद सीएम अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा कि "फिर कहते हैं कि केजरीवाल लड़ता बहुत है। दिल्ली की फ्री बिजली को बंद करने के लिए साजिश रची जा रही है, लेकिन हम इनकी साजिश को कभी सफल नहीं होने देंगे। दिल्ली की जनता के हक के लिए केजरीवाल चट्टान की तरह खड़ा मिलेगा। एलजी साहब, बाद में कृपया ये मत कहिएगा कि मर्यादाएं टूट रही हैं।"

बता दें कि मुख्य सचिव ने एलजी वीके सक्सेना और सीएम केजरीवाल को एक रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें बताया गया था कि ऊर्जा विभाग निजी बिजली कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी पर डीईआरसी के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है। अगर डीईआरसी की सलाह का पालन किया जाए तो दिल्ली सरकार के 300 करोड़ रुपए बचेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन उर्जा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डीईआरसी के निर्देशों का पालन नहीं करने का फैसला किया था और निजी कंपनियों को 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान जारी रखा है।