श्रीलंकाः नए राष्ट्रपति से भी नाराजगी

श्रीलंका में नया राष्ट्रपति चुनने की औपचारिकता पूरी हो गई, लेकिन संकट पहले की तरह बना हुआ है। पिछले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद से अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल रहे रानिल विक्रमसिंघे को ही अगला राष्ट्रपति चुना गया है।

Janbhawana Times
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श्रीलंका में नया राष्ट्रपति चुनने की औपचारिकता पूरी हो गई, लेकिन संकट पहले की तरह बना हुआ है। पिछले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद से अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाल रहे रानिल विक्रमसिंघे को ही अगला राष्ट्रपति चुना गया है। चुनाव में 82 के मुकाबले 134 मतों से जीत दर्ज करने के बावजूद न तो विक्रमसिंघे की आगे की राह आसान हुई है और न ही श्रीलंका के राजनीतिक संकट के खत्म होने के आसार दिख रहे हैं। कारण यह कि विक्रमसिंघे को राजपक्षे परिवार का करीबी माना जाता है।

श्रीलंका में आम धारणा है कि मई में महिंदा राजपक्षे की जगह उन्हें प्रधानमंत्री पद पर इसलिए बैठाया गया क्योंकि राजपक्षे परिवार को भरोसा था कि वह उनके हितों के खिलाफ नहीं जाएंगे। यों भी रानिल विक्रमसिंघे वहां की राजनीति में कोई नया नाम नहीं हैं। वह छह बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वे उन्हीं नेताओं की जमात में शुमार किए जाते हैं, जिनकी वजह से श्रीलंका आज भयानक संकट से गुजर रहा है। यही वजह है कि कोलंबो की सड़कों पर 'गो गोटा गो' के नारे लगाने वाली प्रदर्शनकारियों की भीड़ रानिल विक्रमसिंघे का भी इस्तीफा मांग रही थी। श्रीलंकाई राष्ट्रपति आवास पर लोगों ने कब्जा किया तो विक्रमसिंघे का निजी आवास भी उसी दिन फूंक डाला गया। यह इस बात का पुख्ता संकेत था कि राजपक्षे परिवार से नाराज लोग विक्रमसिंघे को भी स्वीकार नहीं करेंगे। फिर भी, पता नहीं क्यों देश का मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व देशवासियों के मूड को समझ नहीं पाया या फिर समझते बूझते भी उसकी अवहेलना करने पर उतर आया। इसी का नतीजा है कि नए राष्ट्रपति का नाम घोषित होते ही लोग फिर घरों से निकल आए। कुछ दिनों से शांत नजर आ रही कोलंबो की सड़कें एक बार फिर 'रानिल गो होम' नारों से गूंजने लगी हैं।

जाहिर है, ऐसे में नए राष्ट्रपति के लिए काम करना मुश्किल होगा। उनके सामने न केवल देश के अंदर प्रदर्शनकारियों को शांत करने की चुनौती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय अजेंसियों को बेल आउट पैकेज के लिए मनाने का बेहद कठिन काम भी है। देखना होगा कि प्रदर्शन के जारी रहते हुए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां श्रीलंका की मौजूदा सरकार से बातचीत को कितना फायदेमंद मानती हैं। इन सबके बीच भारत के लिए अच्छी बात यह है कि आम लोगों में उसके प्रति सद्भाव बना हुआ है। भारत ने अभी तक संकट के दौरान श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की मदद दी है, जो किसी भी देश से ज्यादा है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह श्रीलंका के लोगों की मदद जारी रखेगा, जो सही है। भारत आगे भी मुश्किल में फंसे पड़ोसी देश की मदद के लिए तैयार है, लेकिन आंतरिक अस्थिरता से वहां के लोगों को खुद निपटना होगा।

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11 August 2022, 07:44 PM IST

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