अकाली दल के एक युग का अंत

मंगलवार रात अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया। करीब 5 दशक के लंबे राजनीतिक जीवन के बाद 95 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।

Saurabh Dwivedi
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हाइलाइट

  • अकाली दल के एक युग का अंत

आशुतोष मिश्र

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया. करीब 5 दशक लंबे राजनीतिक जीवन के बाद 95 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. प्रकाश सिंह बादल के राजनीतिक जीवन की शुरुआत काफी कम उम्र में ही हो गई थी. 20 साल की उम्र में ही वह सरपंच चुने गए. इतनी कम उम्र में  सरपंच बनने का उनके नाम रिकॉर्ड रहा है. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अपने लंबे राजनीतिक कैरियर में वह 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे. करीब 10  बार विधानसभा चुनाव में लगातार जीता. उनके इस कीर्तिमान को काफी सम्मान की दृस्टि से देखा जा रहा है.

प्रकाश सिंह बादल का नाम उनके गांव बादल के ही नाम पर जुड़ा हुआ है जो उनके द्वारा अपनी मातृभूमि के प्रेम को दर्शाता है. वह लगातार अपने गांव जमीन और आसपास के क्षेत्रों से लगातार संपर्क में बने रहें. यही कारण है कि उनका अंतिम संस्कार उनके गांव बादल में ही किया जा रहा है. उनके राजनीतिक प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें श्रद्धांजलि देने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को चंडीगढ़ पहुंचे. उनके श्रद्धांजलि देने के बाद उनके पार्थिव शव को अंतिम संस्कार के लिए रवाना किया गया.

प्रकाश सिंह बादल का अंतिम संस्कार गुरुवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. इस दौरान पूरे देश में 2 दिन बाद राष्ट्रीय शोक रखा गया है. जबकि गुरुवार को पंजाब के सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे. इसके पूर्व अकाली दल के चंडीगढ़ कार्यालय में उनके पार्थिव शरीर को कार्यकर्ताओं के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है. यहां हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने प्रकाश सिंह बादल को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. प्रकाश सिंह बादल की राजनीति  समाजवाद के इर्द-गिर्द घूमती रही. यही कारण है कि कांग्रेश से उनकी एक खास प्रकार की दूरी अंत तक बनी रही. वह केंद्र की राजनीति से हमेशा दूर रहे और पंजाब प्रदेश में राजनीति उनके बिना अधूरी मानी जाती थी.

1977 में बनी मोरारजी देसाई सरकार में वह कुछ दिन के लिए कृषि मंत्री भी थे. लेकिन उनका मन केंद्रीय राजनीति में नहीं लगा और वह दोबारा से प्रदेश की राजनीति में लौट आए. जानकारों का कहना है कि वह पंजाब और वहां के लोगों को सुखी और समृद्धि देखना चाहते थे. खासकर किसानों के प्रति उनका लगाव काफी था. यही कारण है कि सन 2020 में केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून लाने के कारण वह एनडीए से अलग हो गए. इसके बाद उनकी पार्टी की प्रतिनिधि मंत्री ने इस्तीफा दे दिया था. हालांकि पूरे जीवन भर उन्होंने राजनीति का का स्तर बनाये रखा. सभी दलों के प्रति उनका सम्मान बराबर बना रहा. राजनीतिक मंचों से ही वह सिर्फ अपने विरोधियों के विषय में बोलते थे. व्यक्तिगत तौर पर उनका किसी भी राजनीतिक दल या नेता से कोई दुश्मनी नहीं थी. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल के लोग उन्हें समान रूप से मानते थे. उनके निधन पर लगभग सभी राजनीतिक दलों ने शोक संवेदना व्यक्त की है. उनका कहना है कि 5 दशक से अधिक राजनीतिक सफर तय करने वाले एक महान राजनीतिक का देहावसान हो गया.

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26 April 2023, 05:57 PM IST

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