भारत की पहली महिला सुपरस्टार, जिसने दिया था सबसे लंबा किस सीन, इस वजह से छोड़ दी थी एक्टिंग
1933 की फिल्म कर्मा में रियल लाइफ कपल के किस को लंबे समय से बॉलीवुड में पहला लिप-लॉक माना जाता है. फ़िल्म में देविका रानी का चार मिनट लंबा चुंबन दृश्य उस समय चर्चा का प्रमुख विषय बन गया था और इसे भारतीय सिनेमा में पहला ऑन-स्क्रीन चुंबन दृश्य माना जाता है. इस दृश्य ने सनसनी मचा दी थी, कई लोगों ने सवाल उठाया था कि एक अभिनेत्री स्क्रीन पर ऐसा दृश्य कैसे कर सकती है.

ऐसे समय में जब लड़कियों को शायद ही कभी शिक्षा दी जाती थी, उन्हें नौ साल की उम्र में इंग्लैंड के एक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया गया, जहां वे बड़ी हुईं. 1928 में, उनकी मुलाकात भारतीय फिल्म निर्माता हिमांशु राय से हुई, जिनसे उन्होंने अगले साल शादी कर ली. उन्होंने राय की प्रयोगात्मक मूक फिल्म ए थ्रो ऑफ डाइस (1929) के लिए कॉस्ट्यूम डिज़ाइन और कला निर्देशन में योगदान दिया. इसके बाद यह जोड़ा जर्मनी चला गया, जहाँ उन्होंने बर्लिन के यूएफए स्टूडियो में फिल्म निर्माण का प्रशिक्षण लिया. राय ने खुद को मुख्य अभिनेता और उन्हें अपनी अगली परियोजना, द्विभाषी फिल्म कर्मा में नायिका के रूप में चुना , जो अंग्रेजी और हिंदी दोनों में बनाई गई थी.
हम बात कर रहे हैं अभिनेत्री देविका रानी की, जो दादा साहब फाल्के पुरस्कार की पहली प्राप्तकर्ता थीं और उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था. 1933 की फ़िल्म कर्मा में रियल लाइफ़ कपल देविका रानी और हिमांशु राय की जोड़ी को लंबे समय से बॉलीवुड में पहली लिप-लॉक के रूप में पहचाना जाता है और इसे अक्सर "बॉलीवुड का अब तक का सबसे लंबा किस" कहा जाता है. कर्मा भारत की पहली साउंड फ़िल्मों में से एक थी और इसका निर्देशन हिमांशु राय ने किया था. इस फ़िल्म ने देविका रानी को काफ़ी पहचान दिलाई और उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया.
रातों-रात बनीं स्टार
इस फ़िल्म का प्रीमियर 1933 में इंग्लैंड में हुआ था और इसमें वास्तविक जीवन के जोड़े के बीच एक बोल्ड, लंबे चुंबन दृश्य के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया था. हालांकि, जहां इसने विदेशों में लोगों की दिलचस्पी जगाई, वहीं भारत में यह व्यावसायिक रूप से असफल रही. फ़िल्म में देविका रानी का चार मिनट लंबा चुंबन दृश्य उस समय चर्चा का प्रमुख विषय बन गया था और इसे भारतीय सिनेमा में पहला ऑन-स्क्रीन चुंबन दृश्य माना जाता है. इस दृश्य ने सनसनी मचा दी थी, कई लोगों ने सवाल उठाया था कि एक अभिनेत्री स्क्रीन पर ऐसा दृश्य कैसे कर सकती है. देविका को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा और अंततः फ़िल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
ऐसे युग में जब फिल्मों में काम करना सामाजिक कलंक माना जाता था, साहसी और निडर देविका रानी एक ऐसी शख्सियत के रूप में उभरीं, जिन्होंने सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और भारतीय सिनेमा में क्रांति ला दी.
देविका रानी ने अभिनय छोड़ दिया
1940 में हिमांशु राय के अचानक निधन से देविका रानी को गहरा सदमा लगा. इसके बाद, उन्होंने फिल्म उद्योग से दूर रहने और अपने अभिनय करियर को अलविदा कहने का फैसला किया. बाद में उन्होंने रूसी चित्रकार स्वेतोस्लाव रोरिक से शादी कर ली और इस जोड़े ने सिनेमा की दुनिया से खुद को दूर करते हुए बैंगलोर में एक साधारण जीवन जीने का फैसला किया.