भ्रष्टाचार कदापि नहीं!

चुनाव के वक्त लगभग सभी राजनीतिक दल अपनी पार्टी की शुचिता को लेकर काफी संवेदनशील हो जाते हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के बीच में भ्रष्टाचार को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है। सभी पार्टियां अपने आप को पाक और साफ मानते हुए यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि उनके दल में किसी भी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार है। हालांकि यह सैद्धांतिक बातें हैं। कोई दल सत्ता में रहता है तो उसके ऊपर कामकाज के दौरान तमाम प्रकार के सवाल उठते ही रहते हैं । इन सवालों के बीच में कदाचार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी राजनीतक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का आधार बनते हैं।

Janbhawana Times
Janbhawana Times

आशुतोष मिश्र

चुनाव के वक्त लगभग सभी राजनीतिक दल अपनी पार्टी की शुचिता को लेकर काफी संवेदनशील हो जाते हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के बीच में भ्रष्टाचार को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है। सभी पार्टियां अपने आप को पाक और साफ मानते हुए यह स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि उनके दल में किसी भी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार है। हालांकि यह सैद्धांतिक बातें हैं। कोई दल सत्ता में रहता है तो उसके ऊपर कामकाज के दौरान तमाम प्रकार के सवाल उठते ही रहते हैं । इन सवालों के बीच में कदाचार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे भी राजनीतक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का आधार बनते हैं।

1 हफ्ते से सत्ता के राजनीतिक गलियारे में भ्रष्टाचार का मुद्दा काफी गर्म हो रहा है। पिछले दिनों दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से सीसीबीआई ने पूछताछ की। तथाकथित शराब घोटाले को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच तकरार जारी है। 2 दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व अध्यक्ष रहे लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के खिलाफ भी आईआरसीटी घोटाले को लेकर ईडी की छापेमारी के साथ उनके पारिवारिक सदस्यों से पूछताछ कर रहे हैं। सभी मामलों को लेकर विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। चिट्ठी लिखने वालों में विपक्ष के 9 राजनीतिक दल हैं, जिन्होंने सीबीआई और ईडी द्वारा तमाम विपक्षी दलों के नेताओं को अनायास परेशान करने का मामला उठाया है।

पत्र में सीबीआई और ईडी की जांच के साथ-साथ उसकी टाइमिंग को लेकर तमाम सवाल उठाए गए हैं। विपक्षी दलों का कहना है जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है वहां के सत्ताधारी दल को किसी न किसी जांच में फंसा कर उसे मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। जबकि जिन विपक्षी दलों के सदस्य भाजपा में शामिल हो जाते हैं उन पर जांच का कोई सवाल नहीं उठाया जाता चाहे तो उन पर पहले से भ्रष्टाचार का कोई मामला चल रहा हो या नहीं। बहर हाल सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के बीच पत्राचार और जुबानी जंग के बीच तमाम तरह के आरोप-प्रत्यारोप एक दूसरे पर लगाए जा रहे हैं।

भाजपा द्वारा बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बताया गया कि जिन नौ राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है उनमें कोई भी दल दूध का धुला नहीं है सब पर किसी न किसी समय भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगते रहे हैं। यह पार्टियां किसी भी तरह से पाक और साफ नहीं हैं। गुरुवार को भाजपा ने 9 राज्यों में ऐसी ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भ्रष्टाचार के खिलाफ चलने वाली अपनी लड़ाई के पक्ष में कई प्रकार के तर्क दिए इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि पिछले तीन-चार दशकों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि उसे जड़ से समाप्त करने के लिए वर्षों का समय लग सकता है। केंद्र की भाजपा सरकार का कहना है कि वह भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है और आगे भी ऐसा करती रहेगी। पार्टी का इस मामले में एक ही मत है कि वह अन्य दलों को भी भ्रष्टाचार के मामले में कोई सहयोग देने वाली नहीं है।

वहीं दूसरी ओर सत्ता से दूर रहने वाली पार्टियों का कहना है अगर किसी सरकार या पार्टी में भ्रष्टाचार है तो उसकी जांच अवश्य होनी चाहिए। लेकिन किसी निश्चित गंतव्य को लेकर किसी व्यक्ति विशेष या पार्टियों को अनायास ही प्रताड़ित करना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। इससे लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होती हैं। तमाम पार्टियों के साथ सत्ताधारी भाजपा का भी कहना है लोकतंत्र जनता की ताकत और उसकी वोट है। यह फैसला जनता जनार्दन के ही हाथ में है कि वह भ्रष्टाचार को किस नजरिए से देखती है। इसका परीक्षण लगातार चल रहे चुनाव में दिखता जा रहा है। जिन पार्टियों को जनता जनार्दन सत्ता दे रही है उनमें भ्रष्टाचार नाम की कोई चीज नहीं है।

पार्टी का कहना है कि भ्रष्टाचार की वजह से देश की तरक्की के साथ प्रदेश में होने वाले विकास के काम रुक जाते हैं। जिन देशों में भ्रष्टाचार जितना कम होता है विकास का पहिया उतना तेजी से दौड़ता है। केंद्र की भाजपा सरकार और प्रदेशों में सत्ताधारी भाजपा नीत सरकार इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। आने वाले समय में जिन पार्टियों में भ्रष्टाचार अधिक होगा उन्हें जनता सिरे से नकार देगी।

calender
10 March 2023, 03:45 PM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो