score Card

'जस्टिस वर्मा मामला हो या फिर किसानों का विरोध', आखिर कैसे विपक्ष के करीब और सरकार से दूर होते गए उपराष्ट्रपति धनखड़?

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया, उनके विवादित कार्यकाल में विपक्ष से टकराव, राघव चड्ढा प्रकरण, किसान आंदोलन समर्थन, और न्यायपालिका पर कड़ी आलोचना शामिल रही. उनकी कार्रवाई से भाजपा नाराज़ थी, खासकर विपक्ष समर्थित प्रस्ताव स्वीकारने और स्वतंत्र रवैये के कारण. इस्तीफे से राजनीतिक हलचल तेज हुई है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया, जिससे उनके विवादों से भरे तीन साल के कार्यकाल का समापन हुआ. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजकर अपने इस्तीफे की जानकारी दी, जिसे सोशल मीडिया पर रात 9:25 बजे साझा किया गया.

राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़ा इस्तीफा

धनखड़ के इस्तीफे को उस समय के राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़ा जा रहा है, जब उन्होंने राज्यसभा में एक विपक्ष समर्थित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था. जबकि उसी प्रकार का एक प्रस्ताव, जिसे भाजपा ने लोकसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ पेश किया था, अभी लंबित था. बताया जा रहा है कि उन्होंने यह फैसला भाजपा को पूर्व सूचना दिए बिना लिया, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ गया.

राघव चड्ढा प्रकरण बना टकराव का केंद्र

धनखड़ का कार्यकाल कई बार विवादों में घिरा रहा, विशेषकर आप सांसद राघव चड्ढा से जुड़े मामलों को लेकर. दिसंबर 2023 में चड्ढा का राज्यसभा से 114 दिनों का निलंबन समाप्त कर देना सरकार को रास नहीं आया. धनखड़ ने यह निर्णय तब लिया जब विशेषाधिकार समिति ने उन्हें दोषी पाया था. इसके अलावा, दिल्ली सेवा विधेयक पर प्रवर समिति में बिना अनुमति नाम जोड़ने का मामला भी उन्होंने ही भेजा था.

बंगले को लेकर विवाद

चड्ढा को आवंटित बंगले को लेकर भी विवाद हुआ. उन्हें उनकी वरिष्ठता से अधिक स्तर का बंगला दिया गया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया. जब उनसे बंगला खाली करने को कहा गया, तो उन्होंने अदालत में अपील की और स्टे ऑर्डर ले लिया, जिससे सचिवालय की कार्रवाई रोक दी गई. यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है.

विपक्ष के साथ टकराव

धनखड़ का विपक्ष से टकराव जगजाहिर रहा. उन पर यह आरोप लगा कि वे भाजपा को अधिक बोलने का अवसर देते हैं और विपक्ष को दबाते हैं. हालांकि, हाल के महीनों में उनकी कार्यशैली में बदलाव देखा गया, जहां विपक्षी नेताओं को अधिक बोलने की अनुमति मिली. जैसे, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर भाजपा पर तीखा हमला करने दिया गया, जिसे सरकार नापसंद कर रही थी.

किसानों के मुद्दों पर सरकार से असहमति

धनखड़ ने कृषि कानूनों और एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर किसानों के पक्ष में आवाज उठाई. उन्होंने सार्वजनिक रूप से कृषि मंत्री से सवाल किए और मांग की कि किसानों को उर्वरक पर प्रत्यक्ष सब्सिडी और सांसदों की तरह मुद्रास्फीति-समायोजित सहायता मिले.

न्यायपालिका पर तीखा रुख

हाल ही में धनखड़ ने न्यायपालिका विशेष रूप से जस्टिस वर्मा से जुड़े मामलों में खुलकर आलोचना की. उन्होंने अदालतों में लंबित नकदी बरामदगी मामलों में आपराधिक जांच की मांग की और सुप्रीम कोर्ट को शेक्सपियर की शैली में “मार्च के महीने से सावधान” रहने की चेतावनी भी दी.

calender
23 July 2025, 03:27 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag