'दुनिया का सबसे बड़ा NGO, 100 वर्ष की यात्रा पर देश गर्व करता है', पीएम मोदी ने लालकिले से पहली बार किया RSS का जिक्र
भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ बताया और उसकी 100 वर्षों की सेवाओं की सराहना की, वहीं मोहन भागवत ने स्वतंत्रता को जीवित रखने व भारत को विश्व गुरु बनाने का आह्वान किया.

PM Modi on RSS: भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की 100 वर्षों की सेवाओं को सराहा. उन्होंने गर्व के साथ कहा कि आरएसएस आज दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है, जिसने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान दिया है.
राष्ट्र निर्माण में RSS की भूमिका
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पूर्व जन्मा यह संगठन 'व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण' के सिद्धांत पर कार्य कर रहा है. स्वयंसेवकों ने मातृभूमि के कल्याण को सर्वोपरि मानते हुए अपना जीवन राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर दिया. मोदी ने इसे भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करने वाला आंदोलन बताया, जिसने हर कठिन परिस्थिति में समाज को संगठित करने का काम किया है.
#WATCH | PM Narendra Modi says, "Today, I would like to proudly mention that 100 years ago, an organisation was born - Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS). 100 years of service to the nation is a proud, golden chapter. With the resolve of 'vyakti nirman se rashtra nirman', with the… pic.twitter.com/zGMb8H0arw
— ANI (@ANI) August 15, 2025
26 अगस्त से भव्य समारोह
आरएसएस अपनी शताब्दी वर्षगांठ को विशेष रूप से मनाने की तैयारी कर रहा है. संगठन 26 अगस्त से 28 अगस्त तक नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 'संघ यात्रा के 100 वर्ष, नए क्षितिज' शीर्षक से एक भव्य आयोजन करेगा. इस कार्यक्रम में संघ की स्थापना से लेकर अब तक की उपलब्धियों, उसकी विचारधारा और समाज के लिए किए गए योगदान को प्रस्तुत किया जाएगा. यह आयोजन न केवल अतीत का लेखा-जोखा होगा बल्कि आने वाले समय की दिशा भी तय करेगा.
मोहन भागवत का संदेश
इसी दिन भुवनेश्वर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी देशवासियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि आज़ादी केवल मनाने की चीज नहीं है, बल्कि इसे बनाए रखने के लिए निरंतर त्याग और मेहनत की आवश्यकता है. उनके अनुसार, स्वतंत्रता को जीवित रखने के लिए हर नागरिक को सक्रिय भूमिका निभानी होगी.
स्वतंत्रता को जीवित रखने का आह्वान
भागवत ने याद दिलाया कि हमारे पूर्वजों ने भारत की आज़ादी के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. अब यह जिम्मेदारी हमारी है कि हम न केवल इस आजादी की रक्षा करें बल्कि भारत को आत्मविश्वासी बनाते हुए विश्व गुरु की दिशा में अग्रसर करें. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब दुनिया अनेक विवादों से जूझ रही है, भारत को अपने आदर्शों और मूल्यों के आधार पर विश्व का मार्गदर्शन करना होगा.
पीएम मोदी के संबोधन का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन केवल आरएसएस की प्रशंसा तक सीमित नहीं था, बल्कि यह संदेश भी था कि भारत का विकास सामाजिक एकजुटता और राष्ट्रीय चेतना के बल पर ही संभव है. उनका कहना था कि स्वयंसेवकों का त्याग और समर्पण देश के भविष्य की नींव को मजबूत करता है.


