पहलगाम हमले के बाद भारत सख्त, वीजा और सिंधु जल समझौता रद्द, लिए गए अहम निर्णय
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक प्रेस वार्ता के ज़रिए साझा की. इस मौके पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि हमले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए CCS ने कई अहम कदम उठाने का निर्णय लिया है.

भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही पाकिस्तान के नागरिकों के लिए जारी सभी वीजा रद्द कर दिए गए हैं और अटारी बॉर्डर को बंद करने की घोषणा की गई है.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पीसी में दी जानकारी
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह निर्णय पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के समर्थन को नकारने और इस पर ठोस कदम नहीं उठाने के कारण लिया गया है. उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करता, तब तक सिंधु जल संधि को बहाल नहीं किया जाएगा.
अटारी चेकपोस्ट को बंद करने का निर्णय
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि अटारी चेकपोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा. जो लोग वैध अनुमति के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई 2025 तक उसी रास्ते से वापस आ सकते हैं. इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान के नागरिकों को SAARC वीजा छूट योजना के तहत भारत यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी और पहले जारी किए गए SPES वीजा भी रद्द माने जाएंगे.
वायुसेना के सलाहकारों को वापस बुलाने का निर्णय
इसके अलावा, नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग में तैनात रक्षा, मिलिट्री, नौसेना और वायुसेना के सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति (persona non grata) घोषित कर दिया गया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है. भारत ने इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से भी रक्षा, नौसेना और वायुसेना के सलाहकारों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक के बाद कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है और पाकिस्तान को अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा. उन्होंने कहा कि हमारी नीति स्पष्ट है, आतंकवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा. यह कदम भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और यह संकेत देता है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के मामलों में कोई समझौता नहीं करेगा.