क्या एयर डिफेंस सिस्टम रोक सकता है परमाणु मिसाइल? जानिए भारत के पास कितनी ताकत
परमाणु हमले की स्थिति में मिसाइल को उड़ान में ही रोक पाना दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी चुनौतियों में से एक है. भारत ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम (BMD) को मजबूत करते हुए PAD और AAD जैसे दो शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम विकसित किए हैं.

दुनिया भर में जब भी परमाणु युद्ध की आशंका उठती है, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है. क्या कोई देश दुश्मन की परमाणु मिसाइल को उड़ान में ही रोक सकता है? आधुनिक दौर में हर देश अपनी सुरक्षा के लिए हाई-टेक एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर रहा है, जो किसी भी मिसाइल या हवाई खतरे को हवा में ही तबाह कर सके. लेकिन सवाल यह है कि क्या ये सिस्टम परमाणु हमलों से भी सुरक्षा दे सकते हैं?
भारत ने भी बीते कुछ सालों में अपने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रोग्राम को काफी मजबूत किया है. PAD (Prithvi Air Defence) और AAD (Advanced Air Defence) जैसे सिस्टम भारत को इस मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ी उपलब्धियां हैं. आइए समझते हैं कि ये सिस्टम क्या कर सकते हैं और परमाणु मिसाइल को रोकने की असली क्षमता इनमें कितनी है.
क्या परमाणु मिसाइल को रोक सकता है एयर डिफेंस सिस्टम?
परमाणु हथियार से लैस मिसाइल को रोकना तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. आमतौर पर ऐसे हमले इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) के जरिए किए जाते हैं, जो अत्यधिक गति से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में यात्रा करती हैं. इन्हें रोकना, सामान्य क्रूज या शॉर्ट-रेंज मिसाइल की तुलना में कहीं ज्यादा कठिन होता है.
हालांकि आज के कुछ आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम जैसे अमेरिका का THAAD और रूस के S-400 व S-500 इन मिसाइलों को वायुमंडल के अंदर या बाहर ही इंटरसेप्ट करने में सक्षम हैं. भारत के पास भी S-400 सिस्टम है जो इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है.
भारत के पास कौन-कौन से एयर डिफेंस सिस्टम हैं?
भारत के पास दो प्रमुख स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम हैं.
PAD (Prithvi Air Defence): यह सिस्टम एक्सो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्शन के लिए डिज़ाइन किया गया है यानी यह वायुमंडल के बाहर जाकर दुश्मन की मिसाइल को तबाह कर सकता है. इसकी रेंज 50 से 80 किलोमीटर ऊंचाई तक है और यह 2,000 किलोमीटर तक की रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिरा सकता है.
AAD (Advanced Air Defence): यह एंडो-एटमॉस्फेरिक इंटरसेप्टर है, यानी यह वायुमंडल के भीतर उड़ती मिसाइलों को निशाना बनाता है. PAD और AAD मिलकर दुश्मन की दोहरी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं.
भारत की की क्या है तैयारी
1. PAD सिस्टम का पहला सफल परीक्षण 27 नवंबर 2006 को किया गया था, जब इसने पृथ्वी मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर दिया था. इसमें लंबी दूरी तक ट्रैक करने वाला रडार और उन्नत इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर लगे होते हैं, जो लक्ष्य की सटीक पहचान और विनाश सुनिश्चित करते हैं. भारत अब PDV (Prithvi Defence Vehicle) सिस्टम पर भी काम कर रहा है, जिसमें डायवर्ट थ्रस्टर्स जैसी तकनीक शामिल की गई है.
2. हालांकि भारत का मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) या हाइपरसोनिक मिसाइलों के खिलाफ अभी पूरी तरह से कारगर नहीं माना जाता है. इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत लगातार नई तकनीकों और अंतरिक्ष आधारित डिफेंस सिस्टम पर काम कर रहा है.
3. भारत के PAD और AAD सिस्टम देश को बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. हालांकि परमाणु मिसाइल को रोकना आसान नहीं है, लेकिन भारत की तकनीकें लगातार बेहतर हो रही हैं और आने वाले समय में ये दुनिया के टॉप डिफेंस शील्ड्स में शामिल हो सकती हैं.