कांग्रेस अध्यक्ष ने मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों पर दिया जोर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार फिर चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेराफेरी और बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. खड़गे ने इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों से इस धांधली को हर हाल में रोकने का आग्रह किया.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बार फिर चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेराफेरी और बड़े पैमाने पर मतदाता धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं. खड़गे ने इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों से इस धांधली को हर हाल में रोकने का आग्रह किया. उनका कहना था कि चुनावों में मतदाता सूची में गड़बड़ी हो रही है, जहां कांग्रेस समर्थकों के नाम हटा दिए जाते हैं या बगल के बूथों में जोड़ दिए जाते हैं. इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से ठीक पहले भाजपा द्वारा नए नाम जोड़ दिए जाते हैं.
राहुल गांधी का आरोप और चुनाव आयोग का जवाब
राहुल गांधी ने भी इस महीने संसद में महाराष्ट्र चुनाव के संदर्भ में ऐसे आरोप लगाए थे. उनका कहना था कि राज्य की मतदाता सूची में गंभीर विसंगतियाँ हैं और भाजपा ने "अचानक" 70 लाख नए मतदाताओं को जोड़ा. गांधी ने यह आरोप लगाया कि भाजपा को हराने के बावजूद राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से अधिकांश सीटों पर जीत हासिल नहीं हुई. इस पर चुनाव आयोग ने जवाब देते हुए कहा कि मतदान के आंकड़ों या मतदाता संख्या में कोई विसंगति नहीं है.
चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया पर विवाद
खड़गे ने चुनाव आयुक्त के चयन पर उठे विवाद का भी उल्लेख किया. वर्तमान में चुनाव आयुक्त का चयन प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट सदस्य और विपक्ष के नेता की एक समिति द्वारा किया जाता है. विपक्ष का कहना है कि इस व्यवस्था में सत्तारूढ़ पार्टी को चुनाव प्रक्रिया पर नियंत्रण मिल जाता है. खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पहले मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्त चयन समिति से हटा दिया, जिससे यह साबित होता है कि सरकार को न्यायालय की निष्पक्षता पर भी भरोसा नहीं है.
नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन
हाल ही में ज्ञानेश कुमार को नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती दी और इसे "अपमानजनक" और "आधी रात" का निर्णय बताया. पार्टी सूत्रों ने बताया कि श्री कुमार का नाम इसलिए चुना गया, ताकि मुख्य चुनाव आयुक्त का पद खाली न रहे, खासकर बिहार जैसे राज्य में जहां इस साल नवंबर में चुनाव होने हैं.


