दिल्ली में धार्मिक स्थल को तोड़ने पहुंची DDA की टीम, लोगों ने किया विरोध; 10 साल से सील था मंदिर

प्रियदर्शनी विहार में DDA की टीम गुरुवार को एक मंदिर को तोड़ने पहुंची लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया. इस मंदिर को पिछले 10 साल से सील किया गया था. विरोध बढ़ने के बाद कार्रवाई फिलहाल रोक दी गई है. अब देखना होगा कि इस विवाद का हल कैसे निकलता है. जानें पूरी कहानी और क्या है इसके पीछे का असली कारण!

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Edited By: Aprajita

New Delhi: दिल्ली में गुरुवार को एक धार्मिक स्थल को तोड़ने के लिए DDA (दिल्ली विकास प्राधिकरण) की टीम पहुंची, लेकिन वहां लोगों का विरोध शुरू हो गया. मामला दिल्ली के प्रियदर्शनी विहार इलाके का है, जहां लक्ष्मी नारायण मंदिर को तोड़ा जाने की कार्रवाई चल रही थी. जानकारी के अनुसार, इस मंदिर को पिछले 10 साल से सील किया गया था और अब कोर्ट के आदेश पर DDA की टीम इसे तोड़ने पहुंची थी.

लक्ष्मी नारायण मंदिर का विरोध

मंदिर के पास पहुंचे लोग इसकी तोड़फोड़ का विरोध करने लगे. इस विरोध में स्थानीय लोग और हिंदूवादी नेता जय भगवान गोयल भी शामिल हो गए. जानकारी के अनुसार, इस धार्मिक स्थल को 10 साल से सील किया गया था, लेकिन अब इसे तोड़ने की प्रक्रिया चल रही थी. मंदिर के आसपास स्थानीय लोग जमा हो गए और उन्होंने टीम का जमकर विरोध किया, जिसके बाद कार्रवाई फिलहाल रोक दी गई है.

क्यों शुरू हुआ यह विवाद?

इस मंदिर के खिलाफ मामला कोर्ट में भी पहुंचा था. प्रियदर्शनी विहार के एक वकील वीके मित्तल ने अदालत में शिकायत दर्ज की थी. उनका कहना था कि इस मंदिर को बिना किसी अनुमति के बनाया गया था और यह डीडीए की ज़मीन पर अवैध रूप से स्थापित किया गया है. मित्तल के अनुसार, स्थानीय लोगों ने इस भूमि पर कब्जा करके यहां मंदिर बना लिया, जो अवैध था.

DDA की टीम का कदम और स्थानीय विरोध

DDA की टीम, पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों की मौजूदगी में यह कार्रवाई शुरू हुई थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध ने इसे रोक दिया. हिंदूवादी नेता जय भगवान गोयल भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने इस कदम का विरोध किया. फिलहाल, कार्रवाई को रोक दिया गया है और अब स्थिति पूरी तरह से तनावपूर्ण हो गई है.

किसे मिलेगा न्याय?

यह मामला अब कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा, लेकिन फिलहाल स्थानीय लोग और हिंदूवादी नेता इसे लेकर अपने विरोध को मजबूत करने में लगे हुए हैं. वहीं, DDA भी इस अवैध निर्माण को तोड़ने की कोशिश कर रहा है, ताकि शहर की विकास योजनाओं को गति मिल सके.

यह घटना दिल्ली में एक नई बहस को जन्म देती है, जहां धार्मिक स्थल, अवैध कब्जे और शहर की विकास योजनाओं के बीच संतुलन बनाने की चुनौती सामने आ रही है. यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मामले का हल कैसे निकलता है और क्या कोर्ट इस मामले में अपना निर्णय सुनाता है.

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08 May 2025, 02:05 PM IST

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