Mahakumbh 2025: राहुल-प्रियंका आज लगाएंगे महाकुंभ में डुबकी, सियासी पारा हाई
Mahakumbh 2025: महाकुंभ के पांचवें दिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा संगम पहुंचने वाले हैं, जहां वे सेवा दल के शिविर में शामिल होकर साधु-संतों का आशीर्वाद लेंगे. अब तक 7 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार के आंकड़ों पर सवाल उठाए, जिसे भाजपा ने खारिज किया.

Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में हो रहा है, जहां दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु अपनी आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. हर रोज़ संगम तट पर लाखों भक्त स्नान कर मोक्ष की प्राप्ति का अनुभव कर रहे हैं. लेकिन इस बार का महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक संग्राम का अखाड़ा भी बन चुका है.
मुलायम सिंह यादव की मूर्ति पर विवाद
आपको बता दें कि महाकुंभ के दौरान समाजवादी पार्टी द्वारा मुलायम सिंह यादव की मूर्ति लगाए जाने का प्रस्ताव विवाद का केंद्र बन गया. साधु-संतों ने इसका विरोध करते हुए इसे कुंभ की परंपरा और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया. इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई और यह आयोजन सियासी दलों के लिए राजनीति चमकाने का मंच बन गया.
राहुल-प्रियंका की डुबकी और कांग्रेस की रणनीति
वहीं आपको बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने महाकुंभ में संगम तट पर डुबकी लगाई. 2024 के लोकसभा चुनाव में 'इंडिया गठबंधन' को मिली सफलता के बाद कांग्रेस इस मौके को भुनाना चाहती है. महाकुंभ में गांधी परिवार का आना सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सनातन पर अपनी आस्था जताने और जनता के बीच अपनी छवि मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
बीजेपी का तंज - वोट बैंक की राजनीति का आरोप
बताते चले कि बीजेपी ने इस मौके पर कांग्रेस और सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसे आयोजनों में शामिल होते हैं. गुरुवार को बीजेपी ने सफाई कर्मचारियों को संविधान की प्रतियां भेंट कीं और समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की प्रतिबद्धता दोहराई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ का आयोजन विरोधियों के लिए भी सनातन धर्म की महत्ता को समझने का एक अवसर है.
महाकुंभ में राजनीति का बढ़ता प्रभाव
इसके अलावा आपको बता दें कि महाकुंभ, जो आस्था और धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, अब राजनीतिक दलों के लिए अपनी ताकत और जनाधार दिखाने का मंच बन गया है. श्रद्धालुओं के बीच सियासी दलों की उपस्थिति से यह स्पष्ट है कि महाकुंभ अब सिर्फ धर्म का नहीं, बल्कि राजनीति का भी एक प्रमुख केंद्र बन गया है.


