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फतेहपुर में मकबरे को लेकर बढ़ा बवाल, जमकर हुई तोड़फोड़, हिंदू संगठनों का दावा- हजारों साल पहले मंदिर था

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में एक हिंदू संगठन द्वारा मकबरे के बाहर तोड़फोड़ के बाद धार्मिक विवाद भड़क गया, संगठन का दावा है कि ये स्थल हजार साल पुराना मंदिर था.

Fatehpur Temple-Tomb Dispute: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में धार्मिक विवाद उस समय भड़क गया, जब एक हिंदू संगठन के सदस्यों ने सदर तहसील क्षेत्र में स्थित एक मकबरे के बाहर तोड़फोड़ की. संगठन का कहना है कि ये मकबरा वास्तव में एक प्राचीन मंदिर की जगह पर बना हुआ है. जिसके बाद, जिला प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस और पीएसी बल तैनात कर बैरिकेडिंग कर दी है, ताकि स्थिति ना बिगड़े.

विवाद का केंद्र अबू नगर, रेडिया मोहल्ला में स्थित वो ढांचा है, जो सरकारी रिकॉर्ड में खसरा नंबर 753 के तहत 'मकबरा मांगी (राष्ट्रीय संपत्ति)' के रूप में दर्ज है. मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य हिंदू संगठनों का दावा है कि ये स्थल ठाकुरजी और भगवान शिव का लगभग एक हजार साल पुराना मंदिर था. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में भगवा झंडे लिए लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते दिख रहे हैं.

'मंदिर को बदलकर बनाया गया मकबरा'- भाजपा जिलाध्यक्ष 

भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने आरोप लगाया कि सदर तहसील क्षेत्र में स्थित नवाब अब्दुस समद का मकबरा असल में ठाकुरजी और भगवान शिव का प्राचीन मंदिर था, जिसे समय के साथ बदल दिया गया. उन्होंने कहा कि हमारे मंदिर का स्वरूप मस्जिद में बदल दिया गया है. हम सनातन हिंदू इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. यहां कमल के फूल और त्रिशूल जैसे स्पष्ट निशान मौजूद हैं. कल, 11 अगस्त को हम किसी भी कीमत पर यहां पूजा करेंगे.

मुखलाल पाल ने सनातनियों से पुरी ठाकुर डाक बंगला पर सुबह 9 बजे एकत्र होकर मार्च और पूजा में शामिल होने की अपील की. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पूजा करने से रोका गया तो सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

विश्व हिंदू परिषद का भी समर्थन

विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने भी इस दावे का समर्थन करते हुए कहा कि ये ढांचा मकबरा नहीं, बल्कि भगवान भोलेनाथ और श्रीकृष्ण का मंदिर है. यहां धार्मिक प्रतीक, परिक्रमा मार्ग और मंदिर का कुआं मौजूद है. हम चाहते हैं कि जन्माष्टमी से पहले इसे साफ किया जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन को 10 दिन पहले इसकी जानकारी देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसे हिंदुओं की आस्था का केंद्र बताते हुए पुनः प्राप्त करने का संकल्प लिया.

उलेमा काउंसिल की कड़ी प्रतिक्रिया

नेशनल उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय सचिव मो नसीम ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि ये सदियों पुराना मकबरा है, जिसके भीतर कब्रें हैं. ये सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है. क्या अब हर मस्जिद और मकबरे के नीचे मंदिर खोजा जाएगा? उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 11 अगस्त को प्रस्तावित कार्यक्रम नहीं रोका गया, तो उलेमा काउंसिल विरोध प्रदर्शन करेगी. मो नसीम ने प्रशासन पर एकतरफा बयानबाजी को बढ़ावा देने और धार्मिक ठेकेदारों को माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया.

प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा

हालात को देखते हुए प्रशासन ने विवादित स्थल के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी है और पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है. नगर पालिका परिषद के कनिष्ठ अभियंता अविनाश पांडेय ने बताया कि ये कार्रवाई जिला अधिकारी के आदेश पर की जा रही है, ताकि कोई भी व्यक्ति विवादित क्षेत्र में प्रवेश ना कर सकें. प्रशासन का कहना है कि ये जमीन सरकारी रिकॉर्ड में मकबरे के रूप में दर्ज है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है.

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11 August 2025, 12:43 PM IST

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