Motilal Nehru Death Anniversary: कपड़े लंदन से सिलकर आते थे, यूरोप में धुलने जाते थे, कुछ इस तरह ठाट-बाठ में रहते थे मोतीलाल नेहरू

देश के पहले प्रधानमंत्री के पिता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मोती लाल नेहरू की धन दौलत और उनके रहन सहन को लेकर अक्सर चर्चा होते रहती है. आज उनकी पुण्यतिथि है तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं.

Deeksha Parmar
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Motilal Nehru Death Anniversary: मोतीलाल नेहरू एक भारतीय होने के साथ-साथ वकील, कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ  भी थे. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह बहुभाषी थे उन्हें अंग्रेजी, उर्दू, फ़ारसी और अरबी सहित कई भाषाओं का ज्ञान था. उनके बारे में कहा जाता है कि, वह बेहद ठाठ बाट में रहते थे. उनका रहन सहन बिलकुल यूरोपियन था. तो चलिए आज उनके पुण्यतिथि के मौके पर उनके बारे में कुछ दिलचस्प बाते जानते हैं.

 मोतीलाल नेहरू का जीवन परिचय

भारत के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा में 6 मई, 1861 में हुआ था. उनके पिता का नाम गंगाधर था. वह इलाहाबाद के म्योर केंद्रीय महाविद्यालय बी. ए में एडमिशन लिए लेकिन वो अंतिम परीक्षा नहीं दे पाये. बाद में उन्होंने कैम्ब्रिज से 'बार एट लॉ' की डिग्री हासिल की और अंग्रेजी न्यायालयों में वकील के रूप में कार्य प्रारम्भ किया. उनका विवाह स्वरूप रानी से हुआ था जिससे उन्हें एक बेटा जवाहरलाल नेहरू और दो बेटियां विजय लक्ष्मी पण्डित और कृष्णा हठीसिंह हुई थी.

उस जमाने के सबसे महंगे वकील थे मोती लाल नेहरू-

मोतीलाल नेहरू जब साल 1988 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे थे उस दौरान उनके बड़े भाई नंदलाल का निधन हो गया था. भाई के निधन के बाद परिवार का सारा बोझ उन पर था. उस समय अंग्रेज जज भारतीय वकीलों का ज्यादा महत्व नहीं देते थे. हालांकि, उन्होंने तकरीबन सभी अंग्रेज जजों को अपनी बातों से प्रभावित किया. पी. सदाशिवम लिखते हैं कि, उन्हें हाईकोर्ट मं पहली केस लड़ने के लिए 5 रुपये मिले थे. जैसे जैसे समय बीतता गया उनके पास राजे-महराजों के जमीन से जुड़े मामलों के केस आने लगे. बाद में वो देश के सबसे महंगे वकीलों में शुमार हो गए.

ठाठ बाठ में रहते थे मोतीलाल नेहरू-

मोतीलाल नेहरू के बारे में कहा जाता है कि, उनका पहनावा यूरोपियन था उनके कोट पैंट, घड़ी, शानौ शौकत और घर राजा-महाराजाओं की महल की तरह था. साल 1889 के बाद वो लगातार केस के लिए इंग्लैंड जाते थे. उस दौरान वह महंगे होटलों में ठहरते थे. कहा जाता है कि, उनके कपड़े लंदन से सिलकर आते थे और धुलाई यूरोप में होती थी. साल 1900 में उन्होंने इलाहाबाद में महमूद मंजिल नाम का लंबा चौड़ा भवन और इससे जुड़ी जमीन खरीदी थी. उस जमाने में उन्होंने महज 20 हजार में खरीदा और फिर इस सजाया. इस घर का नाम उन्होंने स्वराज भवन रखा था जिसमें 42 कमरे थे. बाद में उन्होंने ये संपत्ती भारतीय कांग्रेस को दान में दे दी.

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05 February 2024, 11:44 PM IST

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