शादी का झूठा वादा या सहमति? सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने शादी का झूठा वादा कर महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने मामले में रेप के आरोपों को खारिज कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने शादी का झूठा वादा करके महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी छात्र को बड़ी राहत देते हुए रेप के आरोपों को खारिज कर दिया है. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे और इसलिए यह मामला अपराध की श्रेणी में नहीं आता. खास बात यह है कि इस मामले में आरोप लगाने वाली महिला पहले से शादीशुदा थी, जो अदालत के लिए एक अहम तथ्य रहा.
तलाकशुदा नहीं थी महिला
रिपोर्ट के अनुसार, जब युवक और महिला का रिश्ता शुरू हुआ, तब महिला अपने पति से अलग रह रही थी, लेकिन तलाकशुदा नहीं थी. कोर्ट ने इस आधार पर यह मामला शादी के झूठे वादे से जुड़ा हुआ नहीं माना. अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक आरोपी के खिलाफ कोई आपराधिक इरादा साबित न हो, तब तक केवल शादी का वादा तोड़ने को रेप का मामला नहीं बनाया जा सकता.
मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस एससी शर्मा ने कहा कि इस मामले में शुरुआत से ही ऐसा कोई झूठा वादा नहीं किया गया था. उन्होंने बताया कि रिश्ते खराब हो जाने या दोनों के अलग हो जाने को आपराधिक मामला बनाने से न्याय प्रणाली पर अनावश्यक बोझ पड़ता है और आरोपी की छवि भी खराब होती है. कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि हर शादी के वादे के टूटने को झूठा वादा मानकर आईपीसी की धारा 376 के तहत मुकदमा चलाना उचित नहीं होगा.
बॉम्बे हाईकोर्ट में की थी अपील
इससे पहले आरोपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन वहां से निराशा मिलने पर उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. आरोपी उस समय 23 साल का था, जबकि महिला शादीशुदा थी और पति से अलग रह रही थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की बारीकी से जांच की और पाया कि शिकायतकर्ता शादीशुदा थी और दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे. कोर्ट ने यह भी ध्यान दिया कि यह रिश्ता एक साल से अधिक समय तक चला, जिसमें दोनों ने कई बार साथ रहकर समय बिताया.
सुप्रीम कोर्ट ने भजनलाल केस के सिद्धांतों के आधार पर FIR को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि शादी के झूठे वादे के आधार पर रेप का आरोप लगाना गलत है. अदालत ने इस फैसले से ऐसे मामलों में समझदारी से न्याय करने का संदेश दिया है, जहां रिश्तों की जटिलताएं अपराध की श्रेणी में नहीं आतीं.


