पांचजन्य ने जर्मन तानाशाह हिटलर से की इंदिरा गांधी की तुलना...हिटलर गांधी...दो तानाशाह,एक जैसी इबारत...

पाञ्चजन्य पत्रिका ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर से की है। कवर पृष्ठ पर आमने-सामने हिटलर और इंदिरा गांधी की तस्वीर लगाते हुए लिखा दो तानाशाह एक जैसी इबारत।

Deeksha Parmar
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हाइलाइट

  • आपातकाल की बरसी पर RSS मैगजीन ने छापा कवर पेज
  • पाञ्चजन्य पत्रिका में इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से की गई
  • आपातकाल की बरसी पर पीएम मोदी ने किया ट्वीट

Panchjanya Magazine Article Emergency: RSS की पत्रिका पांचजन्य ने आपातकाल की बरसी के मौके विशेषांक छापा है। पांचजन्य पत्रिका जुलाई 2023 के अंक में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की तुलना जर्मनी के तानाशाह एडॉल्‍फ हिटलर से की गई है। मैगजीन के कवर पेज पर पूर्व पीएम इंदिरा और जर्मनी के तानाशाह एडॉल्‍फ हिटलर दोनों की तस्‍वीरों के नीचे शीर्षक दिया गया है- हिटलर गांधी !

"दो तानाशाह, एक जैसी इबारत"- पांचजन्य पत्रिका

पांचजन्य पत्रिका ने कवर पेज के ठीक नीचे कैप्‍शन में लिखा है कि, 'दो तानाशाह, एक जैसी इबारत.. 'हिटलर के जघन्य अपराधों को नकारने अथवा भुलाने पर यूरोप में कई जगह कानूनी पाबंदी है। यह उनके लिए अस्तित्व रक्षा का प्रश्न है। यही स्थिति भारत में इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल की है, जिसे भुलाना लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरनाक हो सकता है। आइए, याद करें 25 जून 1975 की काली रात से शुरू हुई वह दास्तान।'

"आपातकाल को भुला देंगे तो लोकतंत्र को बचाए रखना संदिग्ध"

आपातकाल पर आधारित पांचजन्य के इस विशेषांक में इमरजेंसी के संदर्भ में कई लेख लिखे गए है। मैग्जीन में संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण की हाथ में हथकड़ी लगी फोटो भी है। जिसका टाइटल ‘वह भयावह कहानी’ दिया गया है। इसमें लिखा गया है, “अगर यूरोप नाजीवाद और फासीवाद के सच को विस्मृत कर देगा, तो वहां फिर से वही सब होने से बचना संभव नहीं रह जाएगा। यही स्थिति भारत के साथ है। 

यदि हम आपातकाल को विस्मृत कर देंगे तो हमारे लिए भी अपने लोकतंत्र को बचाए रखना संदिग्ध हो जाएगा। आपातकाल की लोमहर्षक कहानी लाखों लोगों को जेल में बंद करके, लोकतंत्र का, कानून का, संविधान का, मर्यादा का, हर तरह की संस्था का, न्यायपालिका का गला घोटकर स्वयं को सत्ता में बनाए रखने की तानाशाही सनक की कहानी है”

‘वह भयावह कहानी’ शीर्षक से लिखे इस लेख में आगे लिखा गया है कि, इन बातों को बीती मानकर छोड़ना वैसा ही होगा जैसे यूरोप में किसी नाजी पार्टी को फिर से पनपने देना। यह न तो विचारधारा का प्रश्न है, न राजनीति का। यह भारत के लोकतंत्र की रक्षा का प्रश्न है। इसके साथ ही शिवेंद्र राणा के 'तानाशाह इंदिरा' समेत कुछ अन्य लेखकों के लेख में आपातकाल पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।

आपातकाल की बरसी पर पीएम मोदी का ट्वीट

आपातकाल की बरसी के मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए एसे लोकतंत्र के काले दिनों के रूप में याद किया है। आपातकाल की बरसी के मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ''मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया. #DarkDaysOfEmergency हमारे इतिहास की कभी न भूलाने वाली वो अवधि है, जो हमारे संविधान की ओर से बनाए गए मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है"

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25 June 2023, 12:19 PM IST

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