राहुल गांधी का विवादित जर्मनी दौरा ,शीतकालीन सत्र के बीच राजनीति गर्म
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जर्मनी के दौरे की घोषणा ने राजनीतिक दुनिया में हंगामा मचा दिया है। यह दौरा ऐसे समय किया जा रहा है, जब देश की संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है,

नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के जर्मनी के दौरे की घोषणा ने राजनीतिक दुनिया में हंगामा मचा दिया है.यह दौरा ऐसा समय किया जा रहा है, जब देश की संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है, और कई अहम विषयों पर बहस जारी है.इस बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने राहुल पर तीखा हमला बोलते हुए इस कदम को गैरजिम्मेदाराना बताया है.
राहुल गांधी की विदेश यात्रा
राहुल गांधी के अनुसार, उनका यह दौरा सिर्फ विदेश भ्रमण नहीं है, बल्कि विदेश में रह रहे भारतीयों, खासकर प्रवासी भारतीयों से बातचीत करने का एक प्रयास है.इस दौरान वे जर्मन सरकार के मंत्रियों से मुलाकात करेंगे, और Indian Overseas Congress (IOC) के अधिकारियों के साथ भी मुलाकात करेंगे.IOC के अनुसार, यह कार्यक्रम 17 दिसंबर को बर्लिन में आयोजित होगा, जिसमें प्रवासी भारतीय समुदाय और यूरोप के अन्य देशों से आए कांग्रेस समर्थक शामिल होंगे.उनका उद्देश्य पार्टी की विचारधारा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करना और विदेश में बसे भारतीयों की समस्याओं व सुझावों को सुनना है.
IOC के ब्रिटेन इकाई के महासचिव की मानें, तो राहुल गांधी की यह यात्रा भारत की वैश्विक भूमिका पर बातचीत का एक मूल्यवान मंच प्रदान करेगी.यह उस विश्वास को मजबूत करने जैसा है जो भारत व विदेश में बसे भारतीयों को जोड़ने के लिए ज़रूरी है.
भाजपा नेताओं का राहुल गांधी पर तंज
लेकिन भाजपा इस दौरे को विपक्ष की जवाबदेही से भागने का एक तरीका बता रही है.भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी को "विदेश नायक" और " पर्यटन नेता " कहकर तंज कसा है.उन्होंने कहा कि संसद 19 दिसंबर तक चल रही है, फिर भी राहुल 15 से 20 दिसंबर तक विदेश जा रहे हैं, ऐसे में वह संसद की ज़रूरतों को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं.
इसी बीच भाजपा सांसद व फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला.उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि उनकी पार्टी अब " सिंगल डिजिट " यानी एक अंक वाले समर्थन तक सीमित है और राहुल गांधी के इस तरह के फैसले उसी कमजोरी का प्रमाण हैं.उन्होंने कहा, "उस इंसान में कोई दम नहीं है, कोई कैरेक्टर की ताकत नहीं है।"
सवाल ये है कि क्या सांसद होते हुए विदेश दौरा करना, भले वह किसी राजनीतिक या संगठनात्मक कारण से हो ,सही है, जब संसद का सत्र जारी हो? एक ओर कांग्रेस कहती है कि यह दौरा भारतीयों को जोड़ने और वैश्विक स्तर पर संवाद स्थापित करने का अवसर है.दूसरी ओर भाजपा इसे कर्तव्य पालन की अवहेलना और राजनीतिक अस्थिरता की मिसाल बता रही है.


