कश्मीर की छतों पर लाल निशान: जंग की आग में भी इंसानियत की पहचान
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर में सीमावर्ती इलाकों में तनाव बढ़ गया है. पाकिस्तान की धमकियों के बीच, अस्पतालों की छतों पर रेड क्रॉस के निशान बनाए जा रहे हैं. यह जिनेवा कन्वेंशन के तहत है, जिसका उद्देश्य युद्ध के दौरान अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती अस्पतालों की छतों पर रेड क्रॉस के निशान बनाए जा रहे हैं. यह कदम अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के तहत अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. भारत ने 6-7 मई की दरमियानी रात 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया था, जिसमें कई आतंकवादी मारे गए. इस हमले के बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की और सीमा पर गोलाबारी की, जिससे दोनों देशों में तनाव और बढ़ गया. ऐसे में, अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए छतों पर रेड क्रॉस के निशान बनाए जा रहे हैं, ताकि युद्ध के दौरान इन पर हमला न हो.
रेड क्रॉस का निशान जिनेवा कन्वेंशन के तहत अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं की सुरक्षा का प्रतीक है. इसका उद्देश्य युद्ध के दौरान चिकित्सा सेवाओं को नुकसान से बचाना है. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामूला, श्रीनगर और अनंतनाग जिलों में स्थित अस्पतालों की छतों पर इस निशान को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जा रहा है. यह कदम अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और युद्ध के दौरान चिकित्सा सेवाओं को नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है.
राष्ट्र के नाम संबोधन में जवाबी कार्रवाई
इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के हमले के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में जवाबी कार्रवाई की बात की है. भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों से संयम बरतने और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालने की अपील की है.
रेड क्रॉस के निशान का उपयोग
इस स्थिति में, रेड क्रॉस के निशान का उपयोग अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है, जो युद्ध के दौरान चिकित्सा सेवाओं की सुरक्षा का प्रतीक है.


