Ram Mandir : सिंह द्वार से होगा प्रवेश...गर्भगृह में होंगे बालस्वरूप राम लला; यहां समझें कितना भव्य होगा राम मंदिर

Ram Mandir : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने अयोध्या राम मंदिर के सभी क्षेत्रों से लेकर भगवान श्रीराम के गर्भगृह तक मंदिर की भव्यता के बारे में बताया है. तीन मंजिला राम मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है. मुख्य गर्भगृह में श्रीराम लला की मूर्ति है और पहली मंजिल पर श्री राम दरबार होगा.

Pankaj Soni
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Ayodhya Ram Mandir : अयोध्या में बने रामलला के मंदिर में बहुत सारी खासियत हैं जो मंदिर की दिव्य और भव्य दोनों बनाती हैं. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर की लंबाई-चौड़ाई, ऊंचाई समेत खासियतों के बारे में ब्यौरा दिया है. इसके साथ ही राम मंदिर परिसर में क्या-क्या होगा, इसकी भी जानकारी दी है. इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं.

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने अयोध्या राम मंदिर के सभी क्षेत्रों से लेकर भगवान श्रीराम के गर्भगृह तक मंदिर की भव्यता के बारे में बताया है. तीन मंजिला राम मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है. मुख्य गर्भगृह में श्रीराम लला की मूर्ति है और पहली मंजिल पर श्री राम दरबार होगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, राम मंदिर में 5 मंडप (हॉल) होंगे. इसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप होंगे. मंदिर की दीवारों में देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं, जो मंदिर को सुशोभित करती हैं. 

राम लला की मंदिर में प्रवेश के लिए 32 सीढ़ियां चढ़कर श्रद्धालु सिंहद्वार से एंट्री कर सकेंगे. मंदिर के चारों तरफ आयताकार परकोटा रहेगा. मंदिर में दिव्यांग और बुजुर्ग तीर्थयात्री के लिए भी विशेष सुविधाएं हैं. रैंप और लिफ्ट की सुविधा भी मौजूद है. मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है. इसके अलावा, 25,000 लोगों की क्षमता वाला एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र (पीएफसी) का निर्माण किया जा रहा है. यह तीर्थ यात्रियों के लिए चिकित्सा सुविधाएं और लॉकर सुविधा प्रदान करेगा.

अयोध्या के राम मंदिर की खासियतों को 20 बिंदुओं में जानिए

1. मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है. नागर शैली उत्तर भारत में मंदिरों के निर्माण की डिजाइन है.
2. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है.
3. अयोध्या का राम मंदिर तीन मंजिला है, जिसकी प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है. इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं. 
4. मुख्य गर्भगृह में भगवान श्रीराम का बचपन का स्वरूप (श्री राम लला की मूर्ति) है, जबकि पहली मंजिल पर श्रीराम का दरबार होगा.
5. पांच मंडप (हॉल) - नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप हाल बनाए गए हैं. 
6. देवी-देवताओं, देवी-देवताओं की मूर्तियां खंभों और दीवारों पर उकेरी गईं हैं.
7. राम मंदिर में प्रवेश द्वार पूर्व दिशा है. यहां सिंह द्वार से 32 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर में प्रवेश मिलेगा.
8. दिव्यांगों और बुजुर्गों की सुविधा के लिए रैंप और लिफ्ट की व्यवस्था की जाएगी.
9. मंदिर के चारों तरफ आयताकार परकोटा होगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट है.
10. राम मंदिर परिसर के चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे, इनमें सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव जी को समर्पित होंगे. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा का मंदिर, जबकि दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है.
11. मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है.
12. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मिकी, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि अगस्त्य, महर्षि विश्वामित्र, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या की पूज्य पत्नी को समर्पित रहेंगे.
13. राम मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुबेर टीला पर जटायु की स्थापना के साथ-साथ भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है.
14. मंदिर की खासियत यह है कि इसमें लोहे का इस्तेमाल कहीं नहीं किया गया.
15. मंदिर की नींव का निर्माण रोलर-कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) की 14 मीटर मोटी परत से किया गया है, जो इसे कृत्रिम चट्टान का रूप देता है.
16. मंदिर को जमीन की नमी से सुरक्षा के लिए ग्रेनाइट का इस्तेमाल कर 21 फुट ऊंचे चबूतरे का निर्माण किया गया है.
17. मंदिर परिसर में एक सीवेज उपचार संयंत्र, जल उपचार संयंत्र, अग्नि सुरक्षा के लिए जल आपूर्ति और एक स्वतंत्र बिजली स्टेशन है.
18. 25,000 लोगों की क्षमता वाला एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र (पीएफसी) का निर्माण किया जा रहा है, यह तीर्थयात्रियों को चिकित्सा सुविधाएं और लॉकर सुविधा प्रदान करेगा.
19.परिसर में स्नान क्षेत्र, वॉशरूम, वॉशबेसिन, खुले नल आदि के साथ एक अलग ब्लॉक भी होगा.
20. मंदिर का निर्माण पूरी तरह से भारत की पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके किया जा रहा है. इसका निर्माण पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए किया जा रहा है और 70 एकड़ क्षेत्र के 70% हिस्से को हरा-भरा रखा गया है.

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04 January 2024, 06:20 PM IST

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