क्या आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है नए श्रम कानून?
नए श्रम कानूनों के लागू होने के बाद कर्मचारियों के रोजमर्रा के कामकाजी माहौल में बड़े बदलाव हुए हैं. इन बदलावों का सीधा असर कर्मचारियों के काम करने के घंटे, छुट्टियों के नियम, ओवरटाइम की सीमा और स्वास्थ्य लाभों पर पड़ने वाला है.

नई दिल्ली: नए श्रम कानूनों के लागू होने के बाद कर्मचारियों के रोजमर्रा के कामकाजी माहौल में बड़े बदलाव हुए हैं. इन बदलावों का सीधा असर कर्मचारियों के काम करने के घंटे, छुट्टियों के नियम, ओवरटाइम की सीमा और स्वास्थ्य लाभों पर पड़ने वाला है. सरकार का कहना है कि इन सुधारों का उद्देश्य कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ाना, उनके ऊपर पड़ने वाले शारीरिक दबाव को कम करना और कामकाज को अधिक व्यवस्थित बनाना है.
अवकाश के लिए पात्र होगा कर्मचारी
अब तक कर्मचारियों को वार्षिक सवेतन अवकाश(Annual Paid Leave) के लिए अर्हता प्राप्त करने हेतु एक कैलेंडर वर्ष में 240 कार्य दिवस पूरे करने होते थे. नए नियमों के अनुसार, यह आवश्यकता घटाकर 180 दिन कर दी गई है. इसका अर्थ यह है कि अब कोई भी कर्मचारी वर्ष में बहुत पहले ही अवकाश के लिए पात्र हो जाएगा. मैन्युफैक्चरिंग, टेक्सटाइल, निर्माण और रिटेल जैसे क्षेत्रों में छुट्टी पाने के नियम बहुत सख्त होते थे.
साप्ताहिक सीमा 48 घंटे ही रहे
दैनिक काम के घंटे की सामान्य सीमा आठ घंटे और साप्ताहिक सीमा 48 घंटे पहले की तरह ही बनी रहेगी, लेकिन इन घंटों को किस तरह विभाजित किया जाएगा, इसमें अधिक लचीलापन दिया गया है. अब राज्य सरकारें सप्ताह की संरचना में बदलाव की अनुमति दे सकती हैं, बशर्ते कि कुल साप्ताहिक सीमा 48 घंटे ही रहे. उदाहरण के तौर पर...
1. चार दिन के सप्ताह में रोज 12 घंटे
2. पांच दिन के सप्ताह में लगभग 9.5 घंटे
3. छह दिन के सप्ताह में रोज 8 घंटे काम कर सकते हैं
ओवरटाइम में कर्मचारी की सहमति जरुरी
ओवरटाइम पहले की तरह कर्मचारी की सहमति से ही होगा और यह सामान्य वेतन के दोगुने रेट पर दिया जाएगा. पहले ओवरटाइम की सीमा 75 घंटे प्रति तिमाही तय थी, लेकिन अब राज्यों को अपनी जरूरतों के अनुसार, सीमा तय करने का अधिकार दिया गया है. इससे कर्मचारियों को अधिक ओवरटाइम करके अतिरिक्त कमाई का मौका मिलेगा और साथ ही थकान से जुड़े जोखिमों पर भी नजर रखी जा सकेगी.
स्वास्थ्य सुविधाओं में भी बड़ा बदलाव
स्वास्थ्य सुविधाओं में भी बड़ा बदलाव किया गया है. अब 40 वर्ष से अधिक उम्र के हर कर्मचारी को साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच का अधिकार मिलेगा. यह कदम खासकर उन क्षेत्रों में बेहद महत्वपूर्ण है, जहां लंबे समय तक काम करना, भारी शारीरिक मेहनत या खतरनाक माहौल आम बात है. इससे बीमारियों का जल्दी पता लग सकेगा और चिकित्सा खर्च भी कम होगा.
मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध होगी
इसके अलावा, प्लांटेशन सेक्टर के कर्मचारियों को अब ESIC मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी, जो पहले सभी जगह समान रूप से लागू नहीं थी. सरकार का कहना है कि ये बदलाव कर्मचारियों को स्वस्थ रखने, उद्योगों में अनुपस्थिति कम करने और रोजगार संबंधों को अधिक स्थिर बनाने में मदद करेंगे. कुल मिलाकर, ये बदलाव श्रमिकों के हित में बनाए गए हैं और आने वाले समय में कार्यस्थलों को अधिक सुरक्षित और संतुलित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.


