कौन थीं रानी केलाडी चेनम्मा जिन्होंने औरंगजेब को दी थी चुनौती, शिवाजी के बेटे को शरण दी
केलाडी की रानी चेन्नम्मा ने अपने पति की मृत्यु के बाद केलाडी का शासन संभाला. उन्होंने 25 साल से ज़्यादा समय तक शानदार तरीके से शासन किया. हालाँकि, उनकी कहानी इतिहास में ज़्यादातर गुमनाम है. वह न केवल एक मज़बूत नेता के रूप में उभरीं, बल्कि उन्होंने अपने राज्य को क्रूर तानाशाह औरंगज़ेब से भी बचाया. आज, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, आइए एक ऐसी महिला नेता की कहानी पर प्रकाश डालते हैं.

केलाडी की रानी चेन्नम्मा ने अपने पति की मृत्यु के बाद केलाडी का शासन संभाला. उन्होंने 25 साल से ज़्यादा समय तक शानदार तरीके से शासन किया. हालाँकि, उनकी कहानी इतिहास में ज़्यादातर गुमनाम है. वह न केवल एक मज़बूत नेता के रूप में उभरीं, बल्कि उन्होंने अपने राज्य को क्रूर तानाशाह औरंगज़ेब से भी बचाया. आज, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, आइए एक ऐसी महिला नेता की कहानी पर प्रकाश डालते हैं.
चेन्नम्मा का जन्म कर्नाटक के कुंडापुरा में सिदप्पा शेट्टी नामक लिंगायत व्यापारी के घर हुआ था. उनकी शादी केलाडी के राजा सोमशेखर नायक से हुई थी. हालाँकि, उनके पति की एक साजिश में हत्या कर दी गई थी. अपने पति के लिए शोक मनाने के बावजूद, चेन्नम्मा जानती थी कि अब केलाड के लोगों की सुरक्षा और भलाई के लिए वह जिम्मेदार थी और उसने प्रशासन को अपने हाथ में ले लिया.
शिवाजी के पुत्र से मुलाकात
केलाडी के लोगों से बातचीत करते समय चेन्नम्मा की मुलाक़ात छत्रपति शिवाजी के बेटे राजाराम से हुई. राजाराम साधु की पोशाक पहनकर उनके पास आए. उन्होंने उन्हें बताया कि मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने उन्हें मारने के लिए सेना भेजी है. उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण के हर शासक ने औरंगज़ेब के डर से उन्हें अपने राज्य से गुज़रने की अनुमति नहीं दी थी. उन्होंने रानी से अनुरोध किया कि वे उन्हें अपने राज्य से गुज़रने दें और जिंजी के किले में अस्थायी शरण लें. चेन्नम्मा ने सहमति जताई और उन्हें आश्रय दिया.
औरंगजेब ने चेनम्मा को एक धमकी भरा पत्र भेजा
मुगल सेना को जैसे ही इस बात का पता चला, औरंगजेब ने चेनम्मा को एक धमकी भरा पत्र भेजा, जिसका जवाब देते हुए उसने बताया कि राजाराम पहले ही उसके राज्य से होकर गुजर चुके हैं. रानी का पत्र औरंगजेब तक पहुंचने से पहले ही मुगल सेना ने केलाडी पर हमला कर दिया.
मुगल खतरे को सफलतापूर्वक पीछे धकेल
चेन्नम्मा ने सागर में अपने सैन्य अड्डे से आगामी युद्ध में मुगल खतरे को सफलतापूर्वक पीछे धकेल दिया. अंततः, राजाराम के सफल भागने की खबर किले तक पहुंचने के बाद औरंगजेब ने जिंजी की घेराबंदी करने की दिशा में अपने प्रयासों को पुनः निर्देशित किया.
शिवाजी के बेटे को शरण दी
केलाडी के सैनिकों ने मुगल आक्रमण के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी. जल्द ही भारी बारिश के कारण युद्ध रोक दिया गया. एक दिन, जन्न निसार खान को औरंगजेब से एक संदेश मिला, जिसमें बताया गया कि राजाराम जिंजी में है. मुगलों ने जिंजी की ओर बढ़ने का फैसला किया और इसलिए केलाडी के साथ शांति संधि का प्रस्ताव रखा. चेन्नम्मा को राहत मिली कि उसका राज्य सुरक्षित था.


