अमेरिका के बड़े आदेश से हिल गया ब्राज़ील....आखिर ट्रंप इतने कठोर क्यों?
अमेरिका ने ब्राज़ील की नीतियों और न्यायपालिका की कार्रवाइयों को अमेरिकी हितों के लिए खतरा बताते हुए 50% आयात शुल्क लगाने का आदेश दिया है. इस फैसले के बाद ब्राज़ील में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और राष्ट्रपति लूला ने देश की संप्रभुता की रक्षा की बात कही है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राज़ील पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का आदेश जारी किया है. उन्होंने अपने आदेश में 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियों अधिनियम का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ब्राज़ील की नीतियां और पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ चल रहा आपराधिक मुकदमा अमेरिकी हितों के लिए खतरा है.
ट्रंप ने पत्र लिखकर दी थी चेतावनी
इससे पहले 9 जुलाई को ट्रंप ने ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा को पत्र लिखकर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, हालांकि उस समय इसका कानूनी आधार व्यापार असंतुलन बताया गया था. लेकिन आंकड़ों के अनुसार अमेरिका का ब्राज़ील के साथ व्यापार अधिशेष 6.8 अरब डॉलर रहा है.
व्हाइट हाउस ने ब्राज़ील की न्यायपालिका पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया है. हालांकि, कंपनियों का नाम नहीं लिया गया. ट्रंप और बोल्सोनारो की राजनीति में समानताएं देखी जा रही हैं. दोनों नेताओं पर चुनाव परिणामों को पलटने की कोशिशों के आरोप हैं.
सभी उत्पादों पर लागू नहीं होगा टैरिफ
टैरिफ आदेश के बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लूला एक कार्यक्रम से यह कहते हुए बीच में ही चले गए कि अमेरिका की कार्रवाइयों को देखते हुए उन्हें देश की संप्रभुता की रक्षा करनी होगी. हालांकि यह टैरिफ सभी उत्पादों पर लागू नहीं होगा. नागरिक विमान, एल्युमीनियम, ऊर्जा उत्पाद, टिन, उर्वरक और लकड़ी का गूदा जैसी वस्तुओं को इससे छूट दी गई है. नया शुल्क सात दिन बाद प्रभाव में आएगा और यह पहले से लागू 10% शुल्क में 40% की बढ़ोतरी करेगा.
इसी दिन, ट्रंप सरकार ने ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट के जज एलेक्जेंडर डी मोरेस पर प्रतिबंध लगाने की भी घोषणा की. डी मोरेस बोल्सोनारो के खिलाफ उस आपराधिक मामले की निगरानी कर रहे हैं, जिसमें उन पर 2022 में चुनाव हारने के बावजूद सत्ता में बने रहने की साजिश रचने का आरोप है. 18 जुलाई को अमेरिकी विदेश विभाग ने डी मोरेस समेत कई ब्राज़ीलियाई अधिकारियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाए थे.


