Birthday Special:कौन है दलाई लामा जिसे चीन समझता है अलगाववादी,  भारत में क्यों निर्वासन की जिंदगी जी रहे तिब्बत के धर्मगुरु?

Hapyy Birthday: दलाई लामा तिब्बत के आखिरी धर्मगुरु हैं. आज दलाई लामा 90 साल के हो चुके हैं. हालांकि तिब्बत के आध्यात्मिक नेता है को आज से 64 साल पहले तिब्बत से पलायन करना पड़ा था. तब से वह भारत के हिमाचल प्रदेश में रहते हैं. तो चलिए आज उनके जन्मदिन के खास मौके पर उनके बारे कुछ दिलचस्प बाते जानते हैं.

Deeksha Parmar
Deeksha Parmar

Hapyy Birthday Dalai Lama: भारत के उत्तर में स्थित तिब्बत को चीन ने 1950 में कब्जा कर लिया. तिब्बत  समुद्र तट से करीब 16017 हजार फीट की ऊंचाई पर है जिसका पूरा इलाका पहाड़ी क्षेत्र है. तिब्बत में एक क्षेत्र है जिसका नाम टक्सर है. यही पर दलाई लामा का जन्म हुआ था.  दलाई लामा का असली नाम ल्हमो दोंडुब है. इनका जन्म  6 जुलाई 1935 को हुआ था. 13 वें दलाई लामा थुबटेन ग्यात्सो ने उन्हें पहचान कर 14वें दलाई लामा घोषित कर दिया था.

आखिर चीन क्यों चिढ़ता है दलाई लामा से-

दलाई लामा और चीन की दुशमनी का लंबा इतिहास है. दरअसल,  सिखांपा ने  तिब्बत के एक धर्मगुरु की खोज किए जो 1357 से 1419 तक तिब्बत के धर्मगुरु रहे. सिखांपा ने 1409 ई. में तिब्बत में एक स्कूल खोला जिसका नाम  जेलग स्कुल रखा. इस स्कूल में एक बहुत होनहार छात्र था जिसका नाम  गेंदुन द्रुप था.  जो आगे चलकर तिब्बत के दलाई लामा बने. बौद्ध धर्म में लामा का मतलब गुरु होता है. बौद्ध धर्म के लोग दलाई लामा को अपना गुरु मानते हैं उनकी हर बात मानते हैं.

odalai
6 साल की उम्र में ल्हमो दोंडुब 13वें दलाई लामा घोषित कर दिया गया था

1630 ईं में बौद्धों और तिब्बतियों के बीच नेतृत्व को लेकर युद्ध शुरू हो गई थी. उस समय 5 वें दलाई लामा तिब्बत को एकजुट करने में कामयाब रहे। तिब्बत को 13 वें दलाई लामा ने स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था लेकिन उस चीन ने कोई आपत्त नहीं जताई लेकिन 40 साल बाद चीन में जब कम्युनिस्ट की सरकार बनी तब चीन सरकार ने तिब्बत पर हमला कर दिया. हालांकि इस युद्ध में तिब्बतियों को कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई.

चीन दलाई लामा को क्यों मानता है अलगाववादी-

जब तिब्बत पर चीन ने हमला किया था तब चीन में माओ त्से तुंग की नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार थी. माओ त्से तुंग की सत्ता में चीन विस्तारवाद पर उतर गया. चीन दलाई लामा को शुरू से ही अलगाववादी मानता है यही वजह है कि जब भी दलाई लामा दूसरे देश की यात्रा पर जाते हैं तो चीन अपना अधिकारिक बयान जारी करके आपत्ति जाहिर करता है. यहां तक की दलाई लामा जिस भी देश में जाते हैं उस देश चीन दुश्मनी कर लेता है. चीन, दलाई लामा एक बड़ी समस्या मानता है.

भारत में क्यों निर्वासन की जिंदगी जी रहे तिब्बत के धर्मगुरु-

31 मार्च 1959 को तिब्बत के धर्मगुरु तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल भागकर भारत आ गए थे. हालांकि जब वह भारत आ रहे थे तो उनके सहयोगियों की उनकी कोई खबर नहीं मिली जिसके सभी अंशाका जताने लगे की उनकी मृत्यु हो गई. दरअसल, चीन तिब्बत पर अपना कब्जा जमाना चाहता है, जिसके बाद चीन ने तिब्बत के कुछ हिस्सों पर आधिपत्य बना लिया इसी वजह से दलाई लामा को चीन से भागना पड़ा था. दलाई लामा के साथ भारी संख्या में उनके सहयोगी भी भारत आए. दलाई लामा को दुनियाभर से सहानुभूति  मिली. लेकिन फिर उन्हें निर्वासन की जिंदगी ही जीना पड़ रहा है. दलाई लामा को भारत से बहुत प्रेम है वह खुद को भारत का बेटा मानते हैं. साल 1989 में दलाई लामा को शांति का नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया है.
 

 

 


 

calender
06 July 2023, 10:34 AM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो