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BNP नेता की घर वापसी पर विवाद, शेख हसीना की पार्टी ने बताया ‘बैकडोर डील’

स्टूडेंट्स लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने आरोप लगाया कि तारीक रहमान की वापसी लोकतांत्रिक सुधार के लिए नहीं, बल्कि अगले साल फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव को अपने पक्ष में एकतरफा बनाने की “बैकडोर डील” का हिस्सा है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारीक रहमान की 17 साल बाद बांग्लादेश वापसी ने देश की राजनीति में तहलका मचा दिया है. उनके लौटने के बाद विपक्षी छात्र संगठन, बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. 

सद्दाम हुसैन का आरोप 

स्टूडेंट्स लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने आरोप लगाया कि तारीक रहमान की वापसी लोकतांत्रिक सुधार के लिए नहीं, बल्कि अगले साल फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव को अपने पक्ष में एकतरफा बनाने की “बैकडोर डील” का हिस्सा है. उनका मानना है कि इससे देश में स्थिरता नहीं आएगी बल्कि राजनीतिक ध्रुवीकरण और बढ़ेगा.

सद्दाम हुसैन ने आगे आरोप लगाया कि जब तारीक रहमान सत्ता के करीब थे, उस दौरान देश में कानून-व्यवस्था कमजोर हुई, उग्रवाद बढ़ा, अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन हुआ और भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए. उन्होंने यह भी कहा कि रहमान कई मामलों में दोषी रहे हैं और न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर उन्हें वापस लाया गया है.

2008 से लंदन में रह रहे थे तारीक रहमान

तारीक रहमान, 2008 से लंदन में रह रहे थे. बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, उनका विमान सुबह करीब 9:56 बजे सिलहट के उस्मानी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा. उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में BNP समर्थक और नेता मौजूद थे. पार्टी ने इसे अपने लिए नए अध्याय की शुरुआत बताया.

उनकी वापसी ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में हालात तनावपूर्ण हैं. हाल ही में छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के बाद कई इलाकों में हिंसक प्रदर्शन हुए और आम चुनाव के मद्देनजर कानून-व्यवस्था, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष चुनाव को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

वहीं, यूनुस सरकार द्वारा अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोकने के फैसले ने भी विवाद बढ़ा दिया है. छात्र संगठन का कहना है कि इससे जनता की आवाज दबाई जा रही है और चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं. सद्दाम हुसैन ने चेतावनी दी कि यदि राजनीतिक प्रक्रिया समावेशी और लोकतांत्रिक नहीं बनी, तो बांग्लादेश का राजनीतिक संकट और गहरा जाएगा. उन्होंने कहा कि निष्पक्ष चुनाव के लिए सरकार का कानूनी, संवैधानिक और तटस्थ होना जरूरी है, लेकिन वर्तमान हालात में यह शर्तें पूरी नहीं हो रही हैं.

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25 December 2025, 08:30 PM IST

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