गाजा में 3500 पाकिस्तानी सैनिकों की तैयारी, क्या असीम मुनीर अमेरिका के इशारे पर मुस्लिम भावनाओं से खेल रहे हैं बड़ा दांव
पाकिस्तान गाजा में 3500 सैनिकों की तैनाती पर विचार कर रहा है। यह योजना अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल से जुड़ी है। फैसले ने देश के भीतर और बाहर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

गाजा को लेकर पाकिस्तान में हलचल तेज है। चर्चा है कि पाकिस्तान 3500 सैनिक भेज सकता है। यह तैनाती अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल के तहत बताई जा रही है। मकसद युद्ध के बाद हालात संभालना है। सरकार ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया है। लेकिन बातचीत की पुष्टि हो चुकी है। इसी वजह से राजनीतिक माहौल गर्म है। आम लोग जवाब चाहते हैं।
क्या शांति की आड़ में राजनीति
इस फोर्स को गाजा में शांति और व्यवस्था से जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि सैनिक सुरक्षा देंगे। राहत कार्यों की निगरानी करेंगे। लेकिन सवाल उठ रहे हैं। क्या हथियार लेकर भरोसा बन सकता है। गाजा पहले ही तबाही झेल चुका है। वहां हर विदेशी मौजूदगी शक पैदा करती है। आलोचक इसे राजनीतिक प्रयोग मानते हैं। इसलिए योजना पर संदेह गहरा रहा है।
क्या ट्रंप योजना का दबाव
यह पूरी पहल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20 सूत्रीय गाजा योजना से जुड़ी मानी जा रही है। अमेरिका चाहता है कि मुस्लिम देश आगे आएं। सैनिक और संसाधन दें। पाकिस्तान को अहम देश बताया जा रहा है। विश्लेषक कहते हैं कि यह सीधा दबाव है। मानवीय भाषा में रणनीतिक हित छिपे हैं। पाकिस्तान के लिए यह आसान फैसला नहीं है।
क्या असीम मुनीर की भूमिका
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की भूमिका पर नजर है। माना जा रहा है कि सैन्य स्तर पर बातचीत हो चुकी है। अमेरिका उन्हें मजबूत नेतृत्व मानता है। अगर मिशन आगे बढ़ा तो उनकी अहमियत बढ़ेगी। लेकिन जोखिम भी उन्हीं पर आएगा। असफलता की कीमत भारी हो सकती है। यही कारण है कि सेना भी सतर्क है।
क्या अमेरिका ने संकेत दिए
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान को अहम बताया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे देश जरूरी हैं। यह बयान कूटनीतिक संकेत माना गया। इससे साफ हुआ कि अमेरिका चाहता है। हालांकि पाकिस्तान ने खुली सहमति नहीं दी है। लेकिन बयान से दबाव जरूर बढ़ा है। कूटनीति में ऐसे संकेत मायने रखते हैं।
क्या सरकार ने फैसला टाल रखा
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि फैसला लंबित है। अभी कोई अंतिम मंजूरी नहीं दी गई। प्रवक्ता के अनुसार विचार जारी है। सरकार जल्दबाजी नहीं चाहती। लेकिन सैन्य बातचीत की खबरें चर्चा बढ़ा रही हैं। सरकार दो तरफ देख रही है। बाहर अमेरिका है। अंदर जनता की भावना है। संतुलन मुश्किल है।
क्या देश में भड़केगा विरोध
पाकिस्तान में गाजा को लेकर भावनाएं बहुत गहरी हैं। इजरायल के खिलाफ गुस्सा खुला है। ऐसे में सैनिक भेजना बड़ा विवाद बन सकता है। धार्मिक दल सड़कों पर उतर सकते हैं। इसे पश्चिमी एजेंडा कहा जा सकता है। सरकार और सेना दोनों निशाने पर आएंगे। इसलिए यह फैसला सिर्फ विदेश नीति नहीं है। यह अंदरूनी स्थिरता की परीक्षा भी है।


