एयरबेस पर मिसाइल अटैक के बाद बौखलाया पाकिस्तान, भारत के खिलाफ ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस का किया ऐलान
7 मई को भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी शिविरों पर हवाई हमलों के जवाब में, पाकिस्तान ने "ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस" शुरू करते हुए मिसाइलें और ड्रोन दागे. यह नाम कुरान की आयत से लिया गया है, जो धार्मिक प्रतीकवाद दर्शाता है. भारत ने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जबकि पाकिस्तान ने धार्मिक स्थलों को भी टारगेट किया. इस घटनाक्रम ने 1971 के बाद पहली बार भारत-पाक सैन्य तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचाया.

पाकिस्तान ने भारत पर कई मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिनमें 'फ़तेह-1' नामक बैलिस्टिक मिसाइल भी शामिल थी. पाकिस्तानी मीडिया ने इस सैन्य कार्रवाई को "ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस" नाम दिया है. यह ऑपरेशन भारत द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के जवाब में शुरू किया गया है. इससे एक दिन पहले भारत ने आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हमले किए थे.
नाम का धार्मिक
‘बुनयान उल मरसूस’ एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है ‘लोहे जैसी दीवार’. यह कुरान की एक आयत से लिया गया है जिसमें कहा गया है कि अल्लाह उन लोगों से प्रेम करता है जो युद्ध के लिए इस प्रकार संगठित होते हैं जैसे वे एक ठोस दीवार हों. इस नाम का चयन पाकिस्तान की ओर से खुद को मज़बूत और अभेद्य दिखाने की रणनीति हो सकती है, साथ ही यह हमलों को धार्मिक आधार देने का प्रयास भी प्रतीत होता है.
भारत की कार्रवाई की पृष्ठभूमि
यह सिलसिला 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ. उस हमले में आतंकवादियों ने कुछ पर्यटकों को धार्मिक आधार पर पहचानने की कोशिश की और गैर-मुस्लिमों की हत्या कर दी. इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी अड्डों पर हवाई हमले किए. भारत ने कुल 9 ठिकानों को निशाना बनाया.
1971 के बाद बड़ा बदलाव
भारत द्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित आतंकी शिविरों पर किया गया यह हमला 1971 के युद्ध के बाद पहली बार था जब भारतीय वायुसेना ने इतनी गहराई तक जाकर कार्रवाई की. ये शिविर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित थे, जिससे इस हमले की रणनीतिक गंभीरता का पता चलता है.
सांप्रदायिक तनाव और बयानबाज़ी
इस पूरे घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का 16 अप्रैल का बयान भी चर्चा में है, जिसमें उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम भिन्नताओं को रेखांकित करते हुए द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला दिया था. विशेषज्ञों के अनुसार यह बयान पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को संकेत देने के लिए दिया गया था.
पाकिस्तान के हमलों का स्वरूप
भारत की कार्रवाई केवल आतंकवादी ठिकानों तक सीमित थी, जबकि पाकिस्तान की प्रतिक्रिया कहीं अधिक उग्र और असंतुलित रही. पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों में भारत के धार्मिक स्थलों गुरुद्वारों, कॉन्वेंट स्कूलों और मंदिरों को भी निशाना बनाया गया. इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान का मकसद न केवल सैन्य जवाब देना था, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को भी भड़काना था.