तालिबान के साथ डबल गेम खेल रहा PAK...विदेशी देश पाकिस्तान से कर रहे अफगानिस्तान पर ड्रोन हमला
तुर्की के इस्तांबुल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता निष्कर्षहीन रही, जबकि सीमित अवधि का अस्थायी युद्धविराम अभी भी कायम है. पाकिस्तान ने पहली बार स्वीकार किया कि उसके पास किसी विदेशी देश के साथ ऐसा समझौता है जिसके तहत ड्रोन हमले किए गए.

नई दिल्ली : तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता अब ठहराव की स्थिति में पहुंच गई है. सितंबर और अक्टूबर में दोनों देशों के बीच हुई सीमित अवधि की भीषण झड़पों के बाद लागू हुआ युद्धविराम अब भी नाजुक स्थिति में है. इस युद्ध में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी. अब दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता किसी ठोस समझौते के बिना समाप्त हो गई.
पाकिस्तान का चौंकाने वाला खुलासा
अफगान पक्ष की आपत्तियां और पाकिस्तान की मांगें
वार्ता के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधियों ने अफगान तालिबान से यह मांग की कि वे इस बात को स्वीकार करें कि इस्लामाबाद को अफगान भूमि पर जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है, यदि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमले होते हैं. अफगान पक्ष ने इसे अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया. अफगान सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल असंगठित और असमंजस में दिखा तथा उसके पास अपने तर्कों के समर्थन में ठोस आधार नहीं था.
हवाई हमले और सीमा संघर्ष
सितंबर की शुरुआत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हिंसा की शुरुआत तब हुई जब TTP आतंकवादियों के हमलों के बाद पाकिस्तानी सेना ने काबुल और कंधार में हवाई हमले किए. इन हमलों में पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने टीटीपी के ठिकानों को नष्ट किया, जबकि अफगानिस्तान ने कहा कि दर्जनों निर्दोष नागरिक, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, मारे गए. दोनों देशों के बीच स्पिन बोलदाक और कुर्रम जैसे इलाकों में भीषण झड़पें हुईं, जिनमें 200 से अधिक लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए.
अंतरराष्ट्रीय दबाव और अस्थायी युद्धविराम
बढ़ते तनाव और संभावित क्षेत्रीय युद्ध की आशंका के बीच पाकिस्तान ने कतर, सऊदी अरब और अमेरिका से मध्यस्थता की मांग की. इन देशों के राजनयिक प्रयासों के बाद 15 अक्टूबर को 48 घंटे का अस्थायी सीजफायर लागू किया गया, जो अभी तक मुश्किल से कायम है. हालांकि, दोनों देशों ने एक-दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं.
सऊदी अरब और अमेरिका से पाकिस्तान के संबंध
रिपोर्टों के अनुसार, हाल ही में पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ एक “रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते (Strategic Mutual Defence Agreement)” पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत दोनों देश बाहरी खतरों की स्थिति में एक-दूसरे की सैन्य मदद करेंगे. इसी के साथ पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ भी अपने रक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत किया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की, जिसके दौरान ट्रंप ने खुले तौर पर बगराम एयरबेस को अफगान तालिबान से वापस लेने की मांग की.
इस्तांबुल में हुई यह वार्ता न केवल अफगानिस्तान-पाकिस्तान संबंधों की नाजुकता को उजागर करती है, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति में बढ़ते तनाव को भी सामने लाती है. पाकिस्तान का ड्रोन समझौते को लेकर स्वीकारोक्ति और उसकी “सीमापार कार्रवाई” की मांग से यह साफ है कि दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हो गई है. जबकि मध्यस्थ देशों के प्रयासों के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया, यह वार्ता दक्षिण एशिया में शांति की उम्मीदों को एक बार फिर धुंधला कर गई है.


