यही कहा था मेरे हाथ में है आईना | फ़राज़

यही कहा था मेरे हाथ में है आईना तो मुझपे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना मेरे चिराग़ तो सूरज के हम-नसब निकले ग़लत था अब के तेरी आँधियों का तख़्मीना

Janbhawana Times
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यही कहा था मेरे हाथ में है आईना

तो मुझपे टूट पड़ा सारा शहर नाबीना


मेरे चिराग़ तो सूरज के हम-नसब निकले 

ग़लत था अब के तेरी आँधियों का तख़्मीना


ये ज़ख्म खाईयो सर पर ब-पासे-दस्ते-सुबूब

वो संगे-मोहतसिब आया, बचाईयो मीना


हमें भी हिज्र का दुख है ना क़ुर्ब की ख़्वाहिश

सुनो कि भूल चुके हम भी अहदे-पारीना


उस एक शख़्स की सज-धज ग़ज़ब की थी ऐ `फ़राज'

*मैं देखता था उसे, देखता था आईना

calender
02 August 2022, 12:11 PM IST

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