ॐलोक आश्रम: क्या सनातन सबसे प्राचीन धर्म है? भाग-3

धर्म और ईश्वर एक बहुत बड़ी सत्ता रही है जिसके ऊपर लोग अपनी कमियों को डालते रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने दुखों का कारण ढूंढ़ता है तो वो मानता है कि ईश्वर ने मेरे ऊपर अन्याय किया है, मुझे दुख दे दिए।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

ॐलोक आश्रम: धर्म और ईश्वर एक बहुत बड़ी सत्ता रही है जिसके ऊपर लोग अपनी कमियों को डालते रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने दुखों का कारण ढूंढ़ता है तो वो मानता है कि ईश्वर ने मेरे ऊपर अन्याय किया है, मुझे दुख दे दिए। अगर व्यक्ति सफल नहीं हुआ तो वह मानता है कि ईश्वर ने मुझे सफलता नहीं दी। मैंने पूजा-पाठ किया, इतना कुछ किया लेकिन उसका फल नहीं मिला तो ये ऐसा कारण रहा। अपनी असफलता का ठीकरा वो ईश्वर पर फोड़ने लगते हैं। प्रचारवादी धर्म जो हैं उन्होंने अपना एक समूह बनाकर प्रचार किया और उनका उद्देश्य था कि ज्यादा से ज्यादा लोग हमारे धर्म से जुड़ें। दूसरी ओर सनातन को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि जो उससे जुड़ें या ना जुड़ें। सनातन ने कभी विरोध नहीं किया।

आज भी भारत में अगर कोई सनातनी है और वो किसी भी धर्म में जाना चाहे तो उसका कोई विरोध नहीं है लेकिन अगर कोई इस्लामिक व्यक्ति है और वह छोड़कर चला आता है तो फतवे जारी हो जाते हैं। गला काटने की धमकी मिलती है। यह स्वरूप दिखाता है कि आखिर स्वरूप क्या है। दो-तीन-चार पंथ जो हैं उनके स्वरूप क्या हैं। यही कारण रहा कि पूरे विश्व में फैले होने के कारण सनातन ने कभी ये चिंता ही नहीं कि हमारा भी एक अलग देश होना चाहिए क्योंकि इनकी सोच एक देश तक नहीं थी इनकी सोच दुनिया तक थी। इसी कारण से ये देश के बारे में नहीं सोचे लेकिन मुझे लगता है कि अब ऐसा समय आ गया है कि कम से कम एक देश ऐसा होना चाहिए सनातनियों के।

जिस तरह विश्व आगे चल रहा है। विश्व की गतिविधियां जिस तरह से चल रही हैं। आज तो वो व्यवस्थाएं नहीं रही कि पूरे विश्व में फैला है। अब तो सिकुड़ते-सिकुड़ते ये व्यवस्था हो गई कि अभी एक राज्य भी ऐसा नहीं है जहां सनातनी नियम चल रहे हों, सनातनी मूल्य चल रहे हों। अगर सारे भारत के सनातनी ये निर्णय करते हैं या बहुमत यह निर्णय करता है और अपनी मांगों को प्रखरता से रखता है और इस बात को मान लेता है कि हां हमें हिन्दू राष्ट्र चाहिए, सनातन राष्ट्र चाहिए।

एक ऐसा राष्ट्र चाहिए जो हमारे मूल्यों के हिसाब से चले और अगर दुनिया में कहीं हिन्दुओं पर उनके धर्म के कारण अत्याचार होता है, कहीं उनकी जेनोसाइड की जाती है, कहीं वो शरण ले सकते हैं तो इस देश में वो शरण ले सकते हैं। कहीं उनकी सभ्यता और संस्कृति को संरक्षित रखा जा सकता है तो वह इस देश में ऱखा जा सकता है। यह देश है कि किसी हिन्दू को भी अगर उसकी धार्मिक शिक्षा मिले, उसका अपने मूल्यों से ज्ञान कराया जाए तो कोई न कोई ऐसा राष्ट्र ऐसा देश चाहिए होगा। पहले समाज ही बहुत सारी चीजे डिसाइड करता था। आज लोक कल्याणकारी राज्य आ गया है। 

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10 December 2022, 03:59 PM IST

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