ॐलोक आश्रम: इस संसार की वास्तविकता क्या है? भाग-1

भगवदगीता में हम उस विंदु पर हैं जहां अर्जुन के मोह के निवारण के लिए भगवान श्रीकृष्ण उन्हें तात्विक रूप से समझा रहे हैं कि इस संसार की वास्तविकता क्या है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

भगवदगीता में हम उस विंदु पर हैं जहां अर्जुन के मोह के निवारण के लिए भगवान श्रीकृष्ण उन्हें तात्विक रूप से समझा रहे हैं कि इस संसार की वास्तविकता क्या है। इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि हम हैं क्या? हम क्या ये शरीर हैं, हम आत्मा हैं, हम हैं क्या? आज हम निष्पक्ष रूप से विचार करते हैं या विभिन्न धर्मों में हमारे बारे में या मनुष्य के बारे में कहा गया है उसपर विचार करते हैं। जो ईसाई और मुस्लिम धर्म हैं वो यह मानते हैं कि हर प्राणी का जब सृजन करते हैं ईश्वर, अल्लाह या गॉड जिस भी नाम से पुकारते हैं। वो हर जीव के साथ एक रूह बनाते हैं, एक आत्मा बनाते हैं और उसे मां की कोख में भेज देते हैं। जब व्यक्ति पैदा होता है अपना काम करता है और जब मृत्यु होती है व्यक्ति की तब वह जो रूह है जो आत्मा है वो अंतिम दिन का इंतजार करती है अपनी कब्र में पड़े हुए।

अंतिम दिन उसके कर्मों का फैसला होता है। अगर वो कुरान के हिसाब से कर्म किए हैं, बाइबल के हिसाब से कर्म किए हैं तो उसको जन्नत देते हैं और अगर उसके हिसाब से काम नहीं है तो उसे जहन्नुम देते हैं। एक ये सिद्धांत है। दूसरा सिद्धांत सनातन का सिद्धांत है जो भगवान कृष्ण गीता में बता रहे हैं। भगवान कृष्ण गीता में बताते हैं कि आत्मा-अजर अमर है। आत्मा न पैदा होता और न कभी मरता है। जो शरीर है वो नष्ट होता है। जैसे हम मोबाइल को देखें। हम एक मोबाइल लेते हैं उसमें एक सिम होती है। हमारी एक पहचान है हम उसको क्लाउड पर बना देते हैं। मोबाइल हम बदलते रहते हैं लेकिन हमारी वो पहचान जारी रहती है। भगवान कृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति है, मनुष्य है वो आत्मा है, जीव है, जो अनंत काल से जन्म ले रहा है।

ऐसा कभी नहीं था कि मैं नहीं था, अर्जुन तुम नहीं थे कभी या ये जो राजा लोग ये कभी नहीं थे और ऐसा भी नहीं है कि आगे ये लोग नहीं रहेंगे। आज मैं कृष्ण के रूप में हूं, तुम अर्जुन के रूप में हो। ये सभी इस-इस रूप में हैं। पहले हम किसी दूसरे रूप में थे, किस अन्य जन्म में थे। हमारा नाम कुछ और था तुम्हारा नाम कुछ और था। आगे और किसी और नाम से हम पैदा होते रहेंगे। ये सतत श्रृंखला है। दो सिद्धांत हैं, एक पुनर्जन्म का सिद्धांत सतत जीवन की श्रृंखला, दूसरा ईश्वर ने हर शरीर के लिए आत्मा बनाई। इन दोनों में कौन सा सिद्धांत सही है और तार्किक है। अगर हम मान लें कि बाइबल या कुरान का सिद्धांत एक सही सिद्धांत है तो प्रश्न ये उठता है कि अल्लाह क्यों किसी आत्मा को सांप में भेज देता है बिच्छू में भेज देता है छोटे-छोटे जीव बना देता है।

किसी आत्मा को किसी के लिए वो आत्मा को मनुष्य बना देता है। किसी को क्यों वो गरीब के घर में पैदा कर देता है किसी को अमीर पैदा कर देता है। किसी को उसने ऐसा पैदा कर दिया कि पैदा होते ही वो सारी सुख सुविधाओं से युक्त है सारी चीजें उसके पास हैं दूसरा वो ऐसे घर में पैदा हो गया जहां उसके पास खाने को नहीं है मूलभूत संकट उपलब्ध है। किसी को अल्लाह ने क्यों अंधा पैदा कर दिया, लूला-लंकड़ा पैदा कर दिया, बीमार पैदा कर दिया। किसी को क्यों सारी शारीरिक शक्तियों से युक्त बना दिया। इन सबका जवाब क्रिश्चियनटी और इस्लाम के पास नहीं है। वो कहते हैं कि ईश्वर की यही मर्जी थी यही किया। तार्किक उत्तर नहीं है।

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10 January 2023, 03:01 PM IST

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