ॐलोक आश्रम: इस संसार की वास्तविकता क्या है? भाग-4
दुख अगर आया है यह भी चला जाएगा, सुख अगर आया है तो यह भी चला जाएगा। न सुख में जरूरत से ज्यादा उछलो, जरूरत से ज्यादा खुश हो जाओ बिल्कुल नहीं और न दुख आए तो आप टूट ही जाओ, बिखर जाओ ऐसा भी आपको नहीं करना है।
दुख अगर आया है यह भी चला जाएगा, सुख अगर आया है तो यह भी चला जाएगा। न सुख में जरूरत से ज्यादा उछलो, जरूरत से ज्यादा खुश हो जाओ बिल्कुल नहीं और न दुख आए तो आप टूट ही जाओ, बिखर जाओ ऐसा भी आपको नहीं करना है। आपको जीवन को सामंजस्य रूप में जीना है, समान रूप से जीना है। ये मानकर जीना है कि सुख और दुख अनित्य हैं क्योंकि ये जीवन हमारा सीमित है और इस जीवन में सुख और दुख रूपी, सर्दी और गर्मी रूपी इस तरह की विषमताएं हमें मिलेंगी ही।
इसको हम सहन करेंगे। जब हम यह मान लेते हैं कि इनको हमें सहन करना है तब हमारे लिए चीज छोटी होती है। जब हम किसी चीज पीछा छुड़ाना चाहते हैं तो वो हमारे पीछे भागते रहती है और वही समय हमें बड़ा लंबा लगने लगता है। लेकिन अगर हम उसको अपना हिस्सा मान लेते हैं, जैसे एक व्यक्ति गंजा है और अगर वो मान लिया कि हमारे बाल नहीं हैं कोई समस्या नहीं है हम ऐसे ही रहेंगे तब उसका वो गंजापन उसे कोई कष्ट नहीं देगा लेकिन अगर वो ये मान ले कि बाल नहीं है बहुत समस्या है, इससे मैं ठीक नहीं दिखता हूं, बूढ़ा दिखता है, ये समस्या है, वो समस्या है, लोग टोकते हैं तो जब भी वो आइने के सामने जाएगा उसे केवल अपना गंजापन ही दिखेगा।
अपनी कोई अच्छाई उसे नहीं दिखेगी। वो अपने गंजेपन को लेकर एक हीन भावना से ग्रस्त हो जाएगा। ये हमारे ऊपर है कि हम जीवन को किस तरह से लेते हैं। हम केवल अपनी कमियों को ही देख रहे हैं कि हम केवल अपनी अच्छाइयों को देख रहे हैं। या हम अपनी कमियों और अच्छाइयों दोनों को देख रहे हैं और दोनों को किनारे रख रहे हैं और हम एक न्यूट्रल विहेवियर करके आगे बढ़ रहे हैं। भगवान कृष्ण कहते हैं कि अगर जीवन है तो आपके अंदर कुछ अच्छाईयां भी होंगी कुछ बुराईयां भी होंगी, कुछ आपके लिए संभावनाएं भी आएंगी कुछ आपके लिए समस्याएं भी आएंगी यह जीवन का अंग है। इनको सहन करो इनमें समत्व भाव रखो और जीवन को आगे लेकर जाओ।