ॐलोक आश्रम: शक्ति की उपासना क्यों करनी चाहिए? भाग -1

वर्तमान में जितने भी पंथ है विश्व में शायद उनमें सनातन ही एक ऐसा पंथ है जहां देवी की पूजा की जाती है। प्रभु की स्त्री रूप में पूजा की जाती है। शक्ति की उपासना की जाती है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

वर्तमान में जितने भी पंथ है विश्व में शायद उनमें सनातन ही एक ऐसा पंथ है जहां देवी की पूजा की जाती है। प्रभु की स्त्री रूप में पूजा की जाती है। शक्ति की उपासना की जाती है। शक्ति की उपासना कितनी आवश्यक है। क्यों शक्ति की उपासना करनी चाहिए। वस्तुत: ईश्वर और ईश्वर की शक्ति इन दो के रूपों में हम जानते हैं। हर चीज का हम इसी रूप में जानते हैं। मैं हूं, मेरी शक्ति है। कोई भी व्यक्ति होता है, कोई देश होता है, कोई भी वस्तु होती है। वह और उसकी शक्ति। जब हम ईश्वर की बात करते हैं तो ईश्वर और उसकी शक्ति दो नहीं होते हैं ये दोनों एक होते हैं। जब हम वस्तुओं को भी सूक्ष्म रूप में जाकर देखते हैं तो वस्तुएं और उनकी शक्ति ये दो नहीं ये भी एक ही हो जाते हैं।

हम यहां से सूर्य को देखते हैं। सूर्य को हम उसकी किरणों के द्वारा जानते हैं। सूर्य की किरणें ही हमारी आंखों तक पहुंचती है। उन्हीं किरणों के द्वारा हम सूर्य का अनुमान लगाते हैं, सूर्य को देखते हैं। हमें सूर्य कभी नहीं दिखाई देता है। हमें उसकी किरणें ही दिखाई देती हैं। इसी तरह हम किसी भी वस्तु को हम देखने का प्रयास करेंगे, उसके पास तक जाने का प्रयास करेंगे तो हमें उस वस्तु के कुछ गुण ही दिखाई पड़ेंगे। वस्तु हमें कहीं दिखाई नहीं देगी। इस बारे में बड़ी चर्चा हुई, बड़ा मंथन हुआ। विशेष रूप से पाश्चात्य दार्शनिकों ने इसपर बड़ा मंथन किया।

अंततोगत्वा कान्ट ने इस पर प्रकाश डाला और बताया कि जो वस्तुएं हैं, जो द्रव्य है उसको मैं नहीं जानता। उसके बारे में वो कहता है आई नो नॉट व्हाट। वह क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं। द्रव्य अज्ञात और अज्ञेय है। हमारा सामना गुणों से होता है। हम केवल उस शक्ति को ही जानते हैं। वह शक्ति कार्य करती है और वह दिखती है। कमरे में कुछ लाइट्स काम कर रही है। वो विद्धुत शक्ति है जो उस लाइट्स के रूप में प्रतिफलित हो रही हैं। एयरकंडीशन है वो भी विद्य़ुत शक्ति है जो शीतलता के रूप में प्रतिफलित हो रही है। अगर फ्रीज काम करेगा, हीटर काम करेगा जो कुछ भी काम करेगा। वह वही शक्ति है जो अलग-अलग रूपों में प्रतिफलित होती है। इसी तरह से इस संसार का मुख्य कारण उपादान कारण जिससे मिलकर ये सारा संसार बना। जिसे हम ब्रह्म कहते हैं। जिसे यह हमारी बुद्धि ईश्वर की संज्ञा देती है। वह भी एक शक्ति से बना है। जिसे हम आदिशक्ति कहते हैं।

उसी आदिशक्ति का अनेकानेक रूपों में हम उसकी पूजा करते हैं। उसका सम्मान करते हैं। शक्ति की जब हम पूजा करते हैं उसका सम्मान करते हैं तो वह पूजा हमारे लिए बहुत आसान होती है। क्योंकि हम उसको कनेक्ट कर पाते हैं। हम उसको अपने मां के प्रेम से कनेक्ट कर पाते हैं। वह हमारे जीवन में एक ऐसा अनुभव है जिसे हम सबने जिया है हम सबने महसूस किया है। हमारे लिए ईश्वर वही होता है जो हमारी हर गलतियों को माफ कर देता है। हमारे साथ खड़ा होता है हमारे सुख-दुख का साथी होता है और वह अनुभव हमने अपनी मां से पाया हुआ होता है। वह मातृशक्ति के रूप में हमारे साथ होती है। हमारे शरीर के अंदर, हम हाथ को हिलाएं, पांव को हिलाएं, हमारे शरीर का खाना पचता है, आंखें देख पाती है। अंग-प्रत्यंग में एक शक्ति निवास करती है। उसके बिना हमारा जीवन चलना ही असंभव है। उसको भी हम अपने अंदर अनुभव करते हैं। यह शक्ति का अनुभव है। 

calender
25 December 2022, 01:13 PM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो