अयोध्या में टूटेगी 300 साल पुरानी परंपरा... जब हनुमानगढ़ी के महंत पहली बार जाएंगे राम मंदिर, जानिए क्यों?
अयोध्या में 300 साल पुरानी परंपरा टूटेगी जब हनुमानगढ़ी के महंत प्रेम दास पहली बार मंदिर से बाहर निकलकर भव्य शोभायात्रा के साथ राम मंदिर पहुंचेंगे, ये यात्रा आस्था और इतिहास का अनूठा संगम बनेगी.

अयोध्या में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर एक ऐतिहासिक पल साक्षी बनेगा. जब हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत प्रेम दास पहली बार मंदिर परिसर से बाहर निकलकर राम मंदिर की यात्रा करेंगे. ये 1.6 किलोमीटर की यात्रा 300 सालों से चली आ रही उस परंपरा को तोड़ेगी, जिसमें 'गद्दी नशीन' को कभी भी मंदिर परिसर छोड़ने की अनुमति नहीं थी.
हनुमानगढ़ी के 70 वर्षीय महंत प्रेम दास का राम मंदिर की ओर ये कदम ना केवल एक धार्मिक उत्सव होगा, बल्कि अयोध्या के इतिहास में भी एक नया अध्याय जोड़ देगा. श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों की नजरें इस अनोखी यात्रा पर टिकी रहेंगी.
क्या है हनुमानगढ़ी की 300 साल पुरानी परंपरा?
हनुमानगढ़ी के 'गद्दी नशीन' को मंदिर की स्थापना (18वीं सदी) से अब तक कभी भी मंदिर परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी. ये परंपरा इतनी कठोर थी कि महंतों को अदालतों तक में उपस्थित होने की भी मनाही थी. अयोध्या निवासी प्रज्ज्वल सिंह के अनुसार, ये परंपरा मंदिर की प्रतिष्ठा और धर्म की रक्षा के लिए बनाई गई थी.
क्यों टूटी सदियों पुरानी परंपरा?
महंत प्रेम दास ने अपने शिष्यों को कई महीनों से बताया था कि उन्हें स्वप्न में भगवान हनुमान के दर्शन हो रहे हैं और वे उन्हें राम मंदिर जाकर दर्शन करने का आदेश दे रहे हैं. इस स्वप्नादेश को गंभीरता से लेते हुए, उन्होंने निर्वाणी अखाड़ा के पंचों को अपनी इच्छा से अवगत कराया. पंचों ने सर्वसम्मति से परंपरा को दरकिनार करते हुए उन्हें यात्रा की अनुमति दी.
कैसे होगी ऐतिहासिक यात्रा?
निर्वाणी अखाड़ा के प्रमुख महंत रामकुमार दास ने बताया कि 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गद्दी नशीन महंत प्रेम दास जी एक भव्य शोभा यात्रा का नेतृत्व करेंगे. इस यात्रा में हाथी, ऊंट, घोड़े शामिल होंगे और अखाड़े का 'निशान' (ध्वज) भी ले जाया जाएगा. यात्रा सुबह 7 बजे सरयू नदी के तट पर पहुंचकर स्नान करेगी, जिसके बाद रामलला मंदिर की ओर बढ़ेगी.
भव्य शोभायात्रा में शामिल होंगे नागा साधु और श्रद्धालु
महंत प्रेम दास के साथ नागा साधु, उनके शिष्य, स्थानीय व्यापारी और हजारों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनेंगे. अयोध्या की गलियों में निकली ये शोभायात्रा भक्ति, परंपरा और इतिहास का अद्भुत संगम पेश करेगी.


