दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पुलिस थानों में पैरा लीगल वालंटियर्स की नियुक्ति के निर्देश दिए
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत की राजधानी दिल्ली में सभी पुलिस स्टेशनों में पैरा-लीगल स्वयंसेवकों (Para Legal volunteers) की नियुक्ति के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की योजना के कार्यान्वयन का निर्देश दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत की राजधानी दिल्ली में सभी पुलिस स्टेशनों में पैरा-लीगल स्वयंसेवकों (Para Legal volunteers) की नियुक्ति के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की योजना के कार्यान्वयन का निर्देश दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने सभी हितधारकों को डीएसएलएसए-DSLSA योजना के कार्यान्वयन के विस्तार के उपायों पर विचार करने का निर्देश दिया।
पीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को DSLSA की मॉडल योजना को पूरे देश में लागू करने के लिए निर्देशों को जारी करने के लिए कहा है। इसके तहत, स्वयंसेवकों का उद्देश्य लापता बच्चों और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के मामलों में लोगों की मदद करना है। इस योजना को शुरू में राष्ट्रीय राजधानी में 50 पुलिस स्टेशनों में लागू करने के लिए एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। एक बैठक के दौरान, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और डीएसएलएसए (DSLSA) ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के चलते पायलट प्रोजेक्ट को अब चल रही और नियमित योजना के रूप में लागू किया जाएगा। अदालत किशोर न्याय अधिनियम के तहत किशोर न्याय वितरण प्रणाली के कामकाज को कारगर बनाने के लिए एक आपराधिक संदर्भ पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने मामले को 24 फरवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
गैरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों के कानूनी सेवा प्राधिकरण को DSLSA मॉडल पर काम करने के आदेश दिए थे, जिससे बच्चों और नाबालिगों के खिलाफ अपराधों के मामलों में सही समय पर कार्य किया जा सके और इनमें कमी आए।
पैरा-लीगल वालंटियर्स का रोल
पैरा-लीगल वालंटियर्स (PVL) से अपेक्षा की जाती है कि वे न्याय तक पहुंच में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए आम लोगों और कानूनी सेवा संस्थानों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करें।