कर्नाटक सरकार का बड़ा कदम: शराब बिक्री से बढ़ाएगी कमाई, नए लाइसेंस देने की तैयारी!
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार शराब पसंद करने वालों के लिए खुशखबरी ला सकती है. कांग्रेस सरकार राज्यभर में अधिक शराब की दुकानें खोलने के लिए नए लाइसेंस जारी करने पर विचार कर रही है, यह जानकारी दिप्रिंट को मिली है. कर्नाटक का आबकारी क्षेत्र सख्त नियमों के तहत काम करता है, लेकिन यह राज्य के लिए एक स्थिर राजस्व स्रोत भी है.

कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार अब अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए शराब से होने वाली कमाई को बढ़ाने की योजना बना रही है. राज्य की कांग्रेस सरकार अधिक शराब की दुकानें खोलने के लिए नए लाइसेंस जारी करने पर विचार कर रही है. इससे सरकार को अतिरिक्त 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है.
राज्य में लागू पांच गारंटियों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार को लगभग 60,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. ऐसे में, नए शराब लाइसेंस जारी करना सरकार के लिए एक संभावित समाधान बन सकता है. अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो आबकारी विभाग से इस साल अनुमानित 38,525 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व की उम्मीद है.
शराब बिक्री से सरकार की कमाई में उछाल
कर्नाटक का आबकारी विभाग हमेशा से सरकार के लिए राजस्व का एक स्थिर स्रोत रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2010-11 में शराब बिक्री से 7,500 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जो 2024-25 में बढ़कर 38,525 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,“एक सिफारिश यह भी दी गई है कि नए लाइसेंस जारी किए जाएं और साथ ही, लाइसेंस शुल्क में संशोधन किया जाए.”सरकार की बनाई एक समिति ने 1992 से बंद पड़े CL-2 (रिटेल शराब दुकान) और CL-9 (बार और रेस्तरां) लाइसेंसों को दोबारा जारी करने की सिफारिश की है.
नकदी प्रवाह बढ़ाने की जरूरत क्यों?
राज्य सरकार की 60,000 करोड़ रुपये की गारंटी योजनाओं की वजह से वित्तीय दबाव बढ़ गया है. मार्च में पेश होने वाले बजट से पहले, सरकार नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिए हर संभव रास्ता तलाश रही है. शराब नीति और कीमतों में बदलाव सबसे आसान तरीकों में से एक हैं, जिससे सरकार को तत्काल वित्तीय राहत मिल सकती है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा,“मोदी सरकार कर्नाटक से टैक्स वसूलती है लेकिन हमारे हक का पैसा वापस नहीं देती!”उनका कहना है कि केंद्र को राज्यों को सिर्फ राजस्व स्रोत के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि उनकी आर्थिक जरूरतों को भी ध्यान में रखना चाहिए.
नए लाइसेंसों पर बढ़ा विरोध
फिलहाल कर्नाटक में 12,666 शराब बिक्री लाइसेंस हैं, जबकि 2010-11 में इनकी संख्या 8,379 थी. हालांकि, सरकार के नए लाइसेंस जारी करने की योजना का खुदरा शराब विक्रेताओं ने विरोध किया है.
कर्नाटक वाइन मर्चेंट्स एसोसिएशन के गोविंदराज हेगड़े ने कहा, "मौजूदा लाइसेंस धारक तो अपना गुजारा भी नहीं चला पा रहे है. तो नए लाइसेंस जारी करने का क्या फायदा? नए आउटलेट्स खुलने से जरूरी नहीं कि बिक्री बढ़े." सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 से 2022-23 के बीच भारतीय निर्मित शराब (IML) की बिक्री केवल 32% बढ़ी है, जबकि बीयर की बिक्री में 60.20% का इजाफा हुआ है.
सरकार का रुख क्या होगा?
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वे बाजार को संतुलित रखना चाहते हैं और नए लाइसेंस जारी करने से पहले पूरी योजना का गहराई से अध्ययन किया जाएगा."हम नए लाइसेंसों की संख्या तय करने में जल्दबाजी नहीं करेंगे,"एक अधिकारी ने बताया. अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस योजना को लागू करती है या विरोध के चलते इसमें बदलाव किया जाता है.


