पंजाब में 'जादू की छड़ी' से सरकारी लूट... कैसे बन गया फर्जी पिंड और हड़प ली गई 43 लाख की ग्रांट?
फिरोजपुर में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर एक फर्जी गांव बना कर 43 लाख रुपये की ग्रांट हड़प ली. ब्लॉक समिति सदस्य गुरदेव सिंह ने आरटीआई के माध्यम से इस घोटाले का पर्दाफाश किया. अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

पंजाब के फिरोजपुर जिले से बेहद हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर एक फर्जी गांव बनाकर सरकार को लाखों रुपये का चूना लगाया. 'नवीन गट्टी राजो' के नाम से एक नया गांव कागजों पर बनाया गया और विकास कार्य दिखाकर 43 लाख रुपये की ग्रांट हड़प ली गई.
सरकार को ठगने की साजिश
केंद्र सरकार से आए पैसे को ठगने के लिए अधिकारियों ने फिरोजपुर के सरहदी इलाके में 'नवीन गट्टी राजो के' नाम का फर्जी गांव बनाया. कागजों पर इस गांव का निर्माण और विकास कार्य दिखाए गए, लेकिन असल में ऐसा कोई गांव है ही नहीं.
गुरदेव सिंह ने किया खुलासा
ब्लॉक समिति सदस्य और आरटीआई कार्यकर्ता गुरदेव सिंह ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया. उन्होंने बताया कि कुछ सरकारी अधिकारियों ने सरकारी धन की लूट के लिए योजनाबद्ध तरीके से यह फर्जीवाड़ा किया. यह घटना करीब 5 साल पुरानी है, जब पंजाब में कांग्रेस सरकार थी. गुरदेव सिंह ने 2019 में आरटीआई दाखिल कर इस फर्जीवाड़े की जानकारी मांगी. लेकिन उन्हें धमकियां दी गई और सही जानकारी देने से इनकार कर दिया गया. इसके बावजूद उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी और आखिरकार सच सामने लाकर सभी को हैरान कर दिया.
43 लाख की ग्रांट का घोटाला
गुरदेव सिंह ने बताया कि फर्जी गांव का विकास कार्य दिखाकर 43 लाख रुपये की सरकारी ग्रांट को ठिकाने लगाया गया. कागजों पर सड़कों का निर्माण, पानी की व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास दिखाया गया, जबकि असल में ऐसा कोई गांव ही नहीं था.
सरकारी अधिकारियों पर गिरी गाज
मामला सामने आने के बाद एडीसी (डिवेलपमेंट) ने कहा कि इस घोटाले की जांच की जा रही है. दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
गांव के लोगों का क्या कहना है?
स्थानीय निवासियों ने बताया कि "गट्टी राजो के" नाम का गांव जरूर है, लेकिन इस नाम का कोई गांव कभी अस्तित्व में नहीं रहा. वहां किसी भी प्रकार का कोई विकास कार्य नहीं हुआ.


