अगर छेड़छाड़ के मामले में कोर्ट ने बरी किया, तो महिला से हर्जाना ले सकता है आरोपी: दिल्ली HC
दिल्ली हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ (Molestation) के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (FIR) निरस्त करने से इनकार करते हुए निर्देश दिया कि निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने की स्थिति में महिला से आरोपी हर्जाना प्राप्त करने का हकदार होगा।
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने छेड़छाड़ (Molestation) के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (FIR) निरस्त करने से इनकार करते हुए निर्देश दिया कि निचली अदालत द्वारा बरी किए जाने की स्थिति में महिला से आरोपी हर्जाना प्राप्त करने का हकदार होगा।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को शिकायतकर्ता द्वारा पत्र लिखे जाने के बाद आरोपी को विश्व निकाय की अपनी आकर्षक नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था। हाईकोर्ट ने कहा कि हर्जाने के लिए निर्देश की आवश्यकता है क्योंकि इसने 3 सितंबर 2021 को दोनों पक्षों को इस मुद्दे को इस वजह से आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया था कि वे मध्यस्थता की प्रक्रिया में थे और इसके बावजूद, महिला ने पुरुष के नियोक्ता (Employer) को पत्र लिखा।
हाईकोर्ट ने कहा कि वह किसी जांच एजेंसी (investigative agency) के रूप में या निचली अदालत (Lower court) के रूप में सबूतों और अभिवेदनों की पेचीदगियों पर काम नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि उसने प्राथमिकी का अध्ययन किया है, जिसमें एक संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है।
इसने कहा कि पहले से शादीशुदा महिला की शिकायत और प्राथमिकी में विरोधाभास हो सकता है, लेकिन मुकदमे में इसकी पड़ताल की जानी चाहिए और आरोप पत्र दायर होने पर अदालत प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए जल्दबाजी नहीं कर सकती। हाईकोर्ट ने कहा कि इसलिए, प्राथमिकी और आरोप पत्र को रद्द करने की याचिका खारिज की जाती है तथा निचली अदालत को मामले का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया जाता है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, ‘हालांकि इस मामले में सावधानी बरतने की जरूरत है।
वर्तमान मामले के तथ्यों में, प्राथमिकी में आरोपों के कारण, याचिकाकर्ता (पुरुष) को संयुक्त राष्ट्र की अपनी आकर्षक नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा। इसलिए यह निर्देशित किया जाता है कि यदि निचली अदालत याचिकाकर्ता को बरी कर देती है और याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार पाए जाते हैं, तो याचिकाकर्ता संबंधित अवधि के लिए प्रतिवादी संख्या-2 (महिला) से वेतन की हानि सहित हर्जाने का हकदार होगा।
'' पुरुष के वकील ने तर्क दिया कि महिला ने 16-17 दिसंबर, 2020 को शिकायत की, जबकि कथित घटना 13 दिसंबर, 2019 को हुई थी। उन्होंने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि शिकायत दर्ज कराने में एक साल से अधिक की देरी हुई।"