मध्य प्रदेश: जिसे बचपन से पढ़ाया, हर समय की मदद उसी ने इकलौते बेटे को मौत के घाट उतारा

जिसके घर में खाने के लाले थे, उसकी आर्थिक मदद की। उसी ने इकलौते बेटे को मौत के घाट उतार दिया। पहले नौ लाख रुपए हड़पे, फिर रुपए न लौटाना पड़ें इसलिए इतनी बेरहमी से बेटे को मारा कि उसके माता-पिता आखिरी बार उसका चेहरा भी नहीं देख पाएंगे।

Dheeraj Dwivedi
Dheeraj Dwivedi

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। जिसके घर में खाने के लाले थे, उसकी आर्थिक मदद की। उसी ने इकलौते बेटे को मौत के घाट उतार दिया। पहले नौ लाख रुपए हड़पे, फिर रुपए न लौटाना पड़ें इसलिए इतनी बेरहमी से बेटे को मारा कि उसके माता-पिता आखिरी बार उसका चेहरा भी नहीं देख पाएंगे। हत्या करने के बाद उसकी लाश जला डाली, चेहरा और पूरा शरीर जल चुका है। सिर्फ कंकाल ही बचा है, बेटे के कंकाल को देखकर कॉलेज संचालक प्रशांत सिंह परमार बिलख पड़े।

वह बार-बार यही कह रहे थे, जिसे बचपन से सहारा दिया उसी ने बुढ़ापे की लाठी छीनकर जीवनभर के लिए बेसहारा कर दिया। दरअसल, जिस करण वर्मा ने प्रखर उर्फ अभय परमार की हत्या अपने दोस्त गौरव सक्सेना और भानु बरार के साथ मिलकर की। वह करण वर्मा बचपन से ही प्रशांत सिंह परमार के स्कूल में पढ़ा। करण की मां प्रशांत सिंह परमार के यहां सालों से काम कर रही थी।

घर का काम करती थी, जब बेटा बड़़ा हुआ तो आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से प्रशांत सिंह परमार ने ही उसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी ली। उसे पढ़ाकर इस लायक बनाया कि उसकी नौकरी नगर निगम में संविदा पर लग गई और अपने परिवार का पालन-पोषण करने लगा। उसी ने पहले नौ लाख रुपए हड़प लिए, फिर वापस करने की जगह बेटे को मार डाला।

कार में खून दिखा तो बोला, यह मुर्गे का है -

मंगलवार दोपहर प्रखर घर से निकला और बाल भवन स्थित निगम मुख्यालय पहुंचा। शाम तक जब घर नहीं पहुंचा तब उसके स्वजन ने फोन लगाना शुरू किया। पिता को पता था कि वह करण से मिलने गया है, इसलिए उसे भी कॉल किया, लेकिन उसका मोबाइल बंद था। फिर प्रशांत परमार और इनके स्वजन यूनिवर्सिटी थाने पहुंचे, गुमशुदगी दर्ज कराई। इन लोगों ने संदेह करण पर जताया था। सीएसपी यूनिवर्सिटी रत्नेश सिंह तोमर ने बताया कि रात 12 बजे उसे राउंड अप कर लिया।

उसकी वर्ना कार की तलाशी ली तो उसमें खून मिला, लेकिन वह बोला यह ह्यूमन ब्लड नहीं बल्कि मुर्गे का ब्लड है। वह ससुराल से आ रहा है, ससुराल में चिकन बना था, वह चिकन खरीदकर ले गया था। वह पुलिस को इसी तरह गुमराह करता रहा। रात में सीसीटीवी कैमरे देखे, फिर प्रखर और अभय की लोकेशन निकाली, जो एक ही निकली। कुछ और डिजिटल साक्ष्य जुटाए, यह सब जब करण के सामने रखे तो वह टूट गया।

करीब आठ घंटे बाद उसने हत्या करना स्वीकार कर ली, लेकिन बोलता रहा कि उसकी लाश गौरव और भानु ने ठिकाने लगाई है। दोपहर में जब एसएसपी अमित सांघी पूछताछ करने पहुंचे तब उसने लाश ठिकाने लगाने की जगह बताई। इसके बाद क्राइम ब्रांच प्रभारी दामोदर गुप्ता और उनकी टीम रवाना हुई। यहां से कंकाल बरामद किया।

दोपहर करीब 2:30 बजे कर दी हत्या -

इन लोगों ने दोपहर में बाल भवन से निकलने के बाद ही करीब 2:30 बजे उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद सीधे झांसी पहुंचे और ग्रासलैंड इलाके के पास शव ठिकाने लगा दिया और वापस ग्वालियर आ गए।

आय से अधिक संपत्ति के चलते पड़ा था ईओडब्ल्यू का छापा -

प्रशांत सिंह परमार सहायक शिक्षक है, अभी निलंबित चल रहा है। उसके घर आय से अधिक संपत्ति के मामले में इसी साल ईओडब्ल्यू का छापा पड़ा था। जिसमें देशभर में 80 स्कूल, कॉलेज मिले थे। इसके बाद उस पर विभागीय कार्रवाई हुई। वह धौलपुर के बाड़ी से चुनाव लड़ने के लिए भी काफी पैसा खर्च कर रहा था।

पुलिस दूसरे आरोपी के घर पहुंची तो छोड़े कुत्ते -

पुलिस को जब पता लगा कि गौरव सक्सेना निवासी गोल पहाड़िया भी इसमें शामिल है तो पुलिस उसके घर पहुंची। यहां उसने भागने की कोशिश की, उसने पुलिस पर कुत्ते छोड़ दिए।

पिता का आरोप- पुलिस ने तत्काल नहीं की कार्रवाई -

इस मामले में प्रशांत सिंह परमार ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि पुलिस को सूचना दे दी थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। जिन पुलिसकर्मियों को साथ भेजा, वह बीच में किसी दुकान पर रुक गए, जबकि उन्होंने बेटे के साथ अनहोनी की आशंका जताई थी।

दृश्यम फिल्म देख, तीन दिन पहले रची हत्या की साजिश -

सीएसपी रत्नेश सिंह तोमर ने बताया कि दृश्यम फिल्म देखकर उसने तीन दिन पहले अपने दोस्तों के साथ मिलकर हत्या की साजिश रच डाली। क्योंकि हाल ही में यह पता लगा था कि उसने जो कागज उन्हें दिए वह फर्जी थे। इसके बाद ही पिता-पुत्र रुपए वापस करने के लिए दबाव डाल रहे थे। इसलिए उसने तीन दिन पहले हत्या की साजिश रची।

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29 December 2022, 11:54 AM IST

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