पापा, अब हम नहीं बचेंगे... उत्तरकाशी में बादल फटने से पहले बेटे का नेपाली दंपत्ति को आखिरी कॉल
उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने से आई भीषण आपदा में कई लोग लापता हो गए, जिनमें मजदूरों और सेना के जवान शामिल हैं. नेपाल से आए दंपति की बेटे से आखिरी कॉल ने दिल दहला दिया.

Cloudburst in Uttarakhand: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने कई परिवारों की दुनिया उजाड़ दी. नेपाल से आए मजदूरों के एक दल में से सिर्फ एक दंपति– काली देवी और उनके पति विजय सिंह इस हादसे में बच पाए. जब बादल फटा, तो उन्होंने अपने बेटे की जो आखिरी कॉल सुनी, उसने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया.
काली देवी और विजय सिंह, जो नेपाल से 26 मजदूरों की टीम के साथ उत्तरकाशी पहुंचे थे, हादसे के कुछ ही देर पहले भटवारी के लिए रवाना हो गए थे. उन्होंने दोपहर 12 बजे के आसपास हर्षिल से निकलकर अपनी जान बचाई, लेकिन उनके बच्चे और साथी मजदूर वहीं रह गए. अगले दिन तक, बाकी दल का कोई भी सदस्य संपर्क में नहीं आया.
'पापा, अब हम नहीं बचेंगे…': बेटे की आखिरी आवाज
विजय सिंह की आंखों में आंसू और दिल में टूटन साफ झलक रही थी जब उन्होंने अपने बेटे की अंतिम बातचीत को याद किया. बादल फटने के बाद, उनका बेटा उन्हें फोन पर कह रहा था – पापा, अब हम नहीं बचेंगे, नाले में बहुत पानी आ गया है.
इसके बाद से वो लापता है. विजय सिंह ने ये बातचीत भटवारी हेलीपैड पर बैठकर मीडिया को बताई. उनका कहना था कि वे पूरी तरह असहाय महसूस कर रहे हैं.
पुल टूटा, रास्ता बंद – मां की पीड़ा
काली देवी बताती हैं कि उन्होंने और उनके पति ने गंगावाड़ी तक पैदल यात्रा की, जो हर्षिल घाटी की ओर जाती है, लेकिन सीमा सड़क संगठन (BRO) का पुल बह गया था, जिससे आगे जाना संभव नहीं था. जब हम घाटी से निकले, तब हमें नहीं पता था कि ऐसी भीषण आपदा आने वाली है. अगर हमें जरा भी आभास होता, तो हम अपने बच्चों को कभी पीछे ना छोड़ते. उन्होंने सरकार से अपील की- कृपया हमें हर्षिल घाटी तक ले जाएं. हम अपने बच्चों को खुद खोज लेंगे.
तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
इस त्रासदी में केवल मजदूर ही नहीं, बल्कि सेना के कई जवान भी शामिल थे. सेना की ओर से जारी बयान के अनुसार, एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) और 8 जवान लापता हैं. अब तक की जानकारी के अनुसार, 5 लोगों की मौत हो चुकी है और 70 से ज्यादा को बचाया गया है. वहीं, 50 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं. गुरुवार को राहत और बचाव कार्य तीसरे दिन भी जारी रहा, लेकिन मौसम और हालात दोनों ही चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं.


