अबू आसिम आज़मी बोले- ‘वंदे मातरम’ नहीं गाऊंगा, बताया धार्मिक कारण
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी ने कहा है कि वे ‘वंदे मातरम’ नहीं गाएंगे. उन्होंने इस गीत को न गाने के पीछे धार्मिक कारण बताया.

महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी ने एक बार फिर साफ कहा है कि वे राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ नहीं गाएंगे. उनका कहना है कि इस गीत को न गाने के पीछे धार्मिक कारण हैं और किसी को भी इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
अबू आसिम आज़मी ने भाजपा पर क्या आरोप लगाया?
अबू आसिम आज़मी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को उछालकर समाज में धार्मिक तनाव फैलाना चाहती है. मुंबई के मानखुर्द-शिवाजीनगर से विधायक आज़मी ने स्कूलों में वंदे मातरम गाना अनिवार्य करने के फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां हर धर्म के लोगों को अपनी आस्था के अनुसार जीने की आज़ादी है. अगर कोई व्यक्ति किसी धार्मिक कारण से वंदे मातरम नहीं गाना चाहता, तो उसे बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने दोहराया कि मुझे कोई भी वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. भाजपा पर निशाना साधते हुए आज़मी ने कहा कि भाजपा यानी भारत जलाओ पार्टी है. यह पार्टी धर्म के नाम पर नफरत फैलाती है और लोगों को बांटकर राजनीति करती है. सत्ता में बने रहने के लिए वे मुसलमानों को निशाना बनाते हैं. अगर आप ‘हिंदू’, ‘मुस्लिम’, ‘भारत’ और ‘पाकिस्तान’ जैसे शब्द हटा दें, तो भाजपा की राजनीति खत्म हो जाएगी.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे राष्ट्रीय गीत को लेकर राजनीति कर रहे हैं, तो आज़मी ने जवाब दिया कि मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करता है. कुछ मुसलमान जमीन की इबादत करते हैं या शराब पीते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं उन्हें रोकने या सज़ा देने जाऊं. हर व्यक्ति को अपने विश्वास के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है. मगर एक सच्चा मुसलमान कभी किसी को अल्लाह के समान नहीं मान सकता.
‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक परिपत्र जारी कर सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक इसका पूरा संस्करण गाया जाए. सामान्यतः राज्य के स्कूलों में केवल पहले दो छंद ही गाए जाते हैं. शिक्षा विभाग के इस आदेश का आज़मी ने खुलकर विरोध किया है.
बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित ‘वंदे मातरम’ का पहली बार 7 नवंबर, 1875 को अक्षय नवमी के दिन पाठ किया गया था. अबू आसिम आज़मी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर राष्ट्रीय गीत को लेकर विवाद गर्मा गया है.


