बिहार में फर्जी प्रमाण पत्रों की आई बाढ़....डॉग बाबू, सोनालिका ट्रैक्टर के बाद अब कैट कुमार के नाम से बनवाया गया सर्टिफिकेट
बिहार के रोहतास में कैट कुमार नाम से बिल्ली के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया. असली व्यक्ति ने फोटो के दुरुपयोग की शिकायत की. इससे पहले भी डॉग बाबू और सोनालिका ट्रैक्टर नाम से फर्जी आवेदन सामने आ चुके हैं.

बिहार के रोहतास ज़िले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक बिल्ली के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र मांगा गया था. इस अनोखे आवेदन में आवेदक का नाम कैट कुमार लिखा गया है, जबकि पिता का नाम कैटी बॉस और मां का नाम कैटिया देवी दिखाया गया है. इस अजीबोगरीब मामले ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है.
जिला प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
जैसे ही यह फर्जी आवेदन सामने आया, रोहतास की जिलाधिकारी उदिता सिंह ने इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए राजस्व अधिकारी कौशल पटेल को निर्देश दिया कि नासरीगंज थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाए. साथ ही मामले की विस्तृत जांच भी शुरू कर दी गई है.
असली शिकायतकर्ता ने जताई आपत्ति
इस मामले में कौशल पटेल नामक व्यक्ति ने खुद आगे आकर शिकायत दर्ज कराई है. उनका कहना है कि जब वह आरटीपीएस काउंटर पर अपने आवेदन की जानकारी लेने पहुंचे, तो पाया कि उसी पते से एक फर्जी ऑनलाइन आवेदन (संख्या: 6205631700) किया गया है. चौंकाने वाली बात यह रही कि उस आवेदन में दी गई तस्वीर उन्हीं की थी, लेकिन नाम और माता-पिता की जानकारी पूरी तरह से गलत थी. आवेदन कैट कुमार के नाम से था और यह जाति प्रमाण पत्र के लिए जमा किया गया था.
साइबर धोखाधड़ी की आशंका
शिकायतकर्ता का मानना है कि किसी ने उनकी तस्वीर का दुरुपयोग कर झूठी जानकारी के साथ यह आवेदन जानबूझकर किया है. उनका आरोप है कि इसका उद्देश्य सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ उठाना और ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा करना हो सकता है. उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया है कि इस प्रकरण की साइबर अपराध और अन्य संबंधित धाराओं के अंतर्गत निष्पक्ष जांच की जाए.
पहले भी हुए हैं ऐसे फर्जी आवेदन
यह घटना उस वक्त सामने आई है जब हाल ही में दो अन्य अजीब फर्जी आवेदन सामने आ चुके हैं. एक में आवेदक का नाम डॉग बाबू (पटना) और दूसरे में सोनालिका ट्रैक्टर (पूर्वी चंपारण) बताया गया था. इन मामलों के बाद राज्य सरकार ने जाँच प्रक्रिया तेज कर दी है और लापरवाही बरतने वाले दो अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है.
प्रमाणपत्र प्रक्रिया पर उठे सवाल
बिहार में निवास प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध है, जिसे बिहार लोक सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत संचालित किया जाता है. हर आवेदन की जांच होती है, लेकिन इन फर्जी आवेदनों ने प्रक्रिया की पारदर्शिता और निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
चुनाव से पहले प्रमाण पत्रों की बाढ़
विशेषज्ञों के अनुसार, मतदाता सूची पुनरीक्षण के चलते राज्य में प्रमाण पत्रों की मांग अचानक बढ़ गई है. चूंकि यह दस्तावेज चुनाव आयोग द्वारा मान्य दस्तावेजों में से एक है, इसलिए लोग तेजी से आवेदन कर रहे हैं. चाहे सही तरीके से या फर्जी नामों से.


