कोलकाता का चाइनीज काली मंदिर: जहां चढ़ता है चाऊमीन और मोमोज का प्रसाद
कोलकाता के टांगरा इलाके में स्थित चाइनीज काली मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. यहां देवी काली को प्रसाद में मोमोज, चाऊमीन और फ्राइड राइस चढ़ाया जाता है. भक्त दूर-दूर से इस विशेष भोग को चढ़ाने और पाने के लिए आते हैं, जो संस्कृति का अद्भुत संगम दिखाता है.

भारत विविधताओं का देश है, और यहां धार्मिक आस्थाएं भी अपने अनोखे अंदाज में नजर आती हैं. इसी अनूठे रंग में रंगा है कोलकाता का चाइनीज काली मंदिर, जो अपनी परंपराओं और प्रसाद की विचित्रता के कारण देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मंदिर में मां काली को प्रसाद के रूप में न लड्डू चढ़ते हैं, न पेड़े, बल्कि मोमोज, चाऊमीन, फ्राइड राइस और चॉप्सी जैसे चाइनीज डिशेस का भोग लगता है.
कोलकाता के टांगरा इलाके में स्थित यह मंदिर, जिसे चाइना टाउन भी कहा जाता है, दो संस्कृतियों—भारतीय और चीनी—के अद्भुत संगम का प्रतीक है. इस क्षेत्र में 18वीं सदी के अंत में चीनी प्रवासी आकर बसे थे. मान्यता है कि करीब 65 साल पहले, एक बीमार चीनी बच्चे के माता-पिता ने एक पेड़ के नीचे रखे काले पत्थरों के सामने प्रार्थना की, जो स्थानीय रूप से मां काली का प्रतीक माने जाते थे. चमत्कारिक रूप से बच्चा ठीक हो गया, और इसके बाद इस स्थान पर एक मंदिर की नींव रखी गई, जो आज चाइनीज काली मंदिर के नाम से जाना जाता है.
मोमोज-चाऊमीन से होती है पूजा
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां चढ़ाया जाने वाला प्रसाद. पारंपरिक मिठाइयों की जगह यहां मां को चाइनीज खाना अर्पित किया जाता है. भक्तगण बड़ी श्रद्धा से मोमोज और चाऊमीन लेकर मंदिर पहुंचते हैं, जिसे भोग स्वरूप मां काली को अर्पित किया जाता है और फिर वही प्रसाद रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है.
इस मंदिर में दिखता है हिंदू-चीनी संस्कृति का संगम
मंदिर की एक और अनूठी परंपरा है चीनी अगरबत्तियों और हाथ से बनाए गए कागज जलाने की, जिसे बुरी आत्माओं को भगाने का प्रतीक माना जाता है. यह परंपरा चीन की पारंपरिक धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है, जिसे स्थानीय हिन्दू परंपराओं के साथ समाहित कर लिया गया है.
चाइनीज काली मंदिर एक उदाहरण
मंदिर की वास्तुकला भी इस मेलजोल को दर्शाती है—छत पर चीनी ड्रैगन उकेरे गए हैं, तो दीवारों पर हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें सजी हैं. यहां हर धर्म और जाति के लोग बड़ी श्रद्धा के साथ आते हैं और यही इस मंदिर को एक सांस्कृतिक सौहार्द का अनूठा प्रतीक बनाता है. चाइनीज काली मंदिर एक उदाहरण है कि आस्था की कोई सीमा नहीं होती, वह सभी सीमाओं को पार कर जाती है.


